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मोदी सरकार के तीन साल, मगर इन फैसलों के लिए Confusinon है…

modi 3 मोदी सरकार के तीन साल, मगर इन फैसलों के लिए Confusinon है...

modi 3 मोदी सरकार के तीन साल, मगर इन फैसलों के लिए Confusinon है...

नई दिल्ली। 16 मई 2014 का दिन भाजपा के लिए खुशखबरी लेकर आया और मोदी के सिर पर प्रधानमंत्री पर पीएम का ताज सजा। साल 2014 की 16 मई की भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के 30 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब कोई पार्टी प्रचंड बहुमत के साछ सत्ता के शीर्ष पर पहुंची। केंद्र की सत्ता संभालते हुए मोदी को तीन साल का समय बीत चुका है और उनका डंका अब तक कई जगहों पर बज चुका है, इसका ताजा उदाहरण हाल भी संपन्न हुए यूपी विधानसभा चुनाव है। तीन सालों के सफर में मोदी अब तक कई फैसले ले चुके हैं, जिनमें से ज्यादातर सफल रहे हैं लेकिन कुछ फैसले ऐसे भी हैं जिसका परिणाम क्या निकला और ये किस मकसद से शुरू किए गए इस बात का पता लगा पाना शायद थोड़ा सा मुश्किल है…तो चलिए मोदी के तीन सालों में ऐसे लिए गए फैसलों पर एक नजर डालते हैं….

मन की बात

भाजपा शासनकाल में जनता से सीधे संवाद करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने रेडियो के जरिए मन की बात कार्यक्रम की शुरूआती की। मोदी के इस कार्यक्रम के जरिए आमतौर पर हर महीने के किसी भी रविवार को जनता से सीधा संवाद करते हैं और किसी भी खास विषय पर जानकारियां देते हैं। बोर्ड एग्जाम के समय में मोदी ने छात्रों को टिप्स दिए, एग्जाम खत्म होने के बाद छुट्टियां कैसे बिताएं इसके टिप्स दिए। रेडियो के जरिए देश की जनता को संबोधित करने का मोदी का अपना एक अनोखा कॉन्सेप्ट था लेकिन ऐसा कार्यक्रम बनाया गया क्यों? मोदी के इस कदम का देश को क्या फायदा मिला है इसकी गणना करना किसी भी राजनीति शास्‍त्री के लिए बड़ी चुनौती है।
नोटबंदी

सत्ता संभालने के बाद मोदी के जो सबसे बड़ा फैसला लिया वो था नोटबंदी का। साल 2017 की 8 नंवबर की रात को अचानक मोदी टीवी पर आए और घोषणा कर दी कि कालेधन को बाहर निकालने के लिए केंद्र सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोट पर बैन लगाने का फैसला लिया है। पुराने नोट लेने के बाद केंद्र सरकार 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी करेगी। मोदी के इस फैसले ने देश की 90 फीसदी जनता को बैंकों की लाइन में खड़ा कर दिया। लोगों को काफी परेशानी हुई लेकिन वो लाइन में सिर्फ सरकार के कालाधन लाने के भरोसे खड़ी रही।

इतना ही नहीं नोटबंदी के कुछ दिनों बाद सराकर ने दावा किया कि इस फैसले ने आतंकवाद की कमर तोड़ दी है, जिसके बाद से लगातार कश्मीर में आतंकी हमले बढ़ने लगे। हां, ये जरूर हुआ कि नोट बदलने के चक्कर में बैंक के अंदर और लाइन में लगे कई लोगों ने अपनी जान गंवाई और लाखों लोगों के रोजगार चले गए।

सर्जिकल स्ट्राइक

सरकार ने दावा किया भारतीय सेना ने पाक सीमा में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक की और कई आतंकी ठिकानों सहित आतंकियों को मार गिराया। कहा गया कि इस ऑपरेशन ने भारत-पाक सीमा में बने आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूत कर दिया है लेकिन इसके बाद से कश्मीर और पंजाब में लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं।

पाकिस्तान को अलग करने की नीति

भाजपा शुरू से ही पिछले दस साल से सत्ता में रही यूपीए सरकार पर ये आरोप लगाती रही कि उसकी पाकिस्तान नीति पूरी तरह से विफल रही है। सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई देशों की यात्राएं की और ये प्रचार किया गया कि इससे भारत पाकिस्तान को घेरने में कामयाब हुआ है। मगर हकीकत से रूबरू हुआ जाए तो ये पता चलेगा कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जहर उगलना बंद नहीं किया है और वो भारत से मुकाबला करने के लिए चीन से हाथ मिला रहा है।

स्वच्छ भारत अभियान

गांधी जयंती के मौके पर पीएम मोदी ने देश को स्वच्छ करने के लिए एक खास तरह का अभियान चलाया, जिसे स्वच्छ भारत अभियान का नाम दिया गया। इस अभियान की शुरूआत में देश की जनता ने काफी खुशाी दिखाई, राजनेताओं ने भी सड़कों पर झाडू लगाकर तस्वीरें खीचें और सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोरी। हर तरफ ऐसा माहौल बनाया गया कि अब पूरा देश साफ हो जाएगा लेकिन चाहे वो दिल्ली में श्रीश्री रविशंकर का यमुना के तट पर हुआ कार्यक्रम हो या मुंबई में जस्टिन बीबर का शो, इन सब के बाद जिस तरह की गंदगी सामने आई उसने सरकार के इस कार्यक्रम में कलई खोल कर रख दी।

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