नई दिल्ली। कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार से जम्मू-कश्मीर की नीति को सार्वजनिक करने की मांग की है। पार्टी का आरोप है कि भाजपा-पीडीपी जम्मू-कश्मीर में तब तक शांति नहीं होगी।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री या उनके कार्यालय की ओर से इस बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं प्राप्त हुई। वहीं मुलाकात के बाद जो बयान दिया उससे केंद्र सरकार के नाकारात्म रवैया जगजाहिर कर दिया।
तिवारी ने जम्मू-कश्मीर महबूबा मुफ्ती के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह और कानून एवं न्यायमंत्री रविशंकर प्रसाद से मुलाकात के बाद कश्मीर पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की नीति का जिक्र किया और कहा कि सिरे को वहीं से पकड़ना चाहिए जहां पर वह छूटा था।
यह स्पष्ट रूप से अलगाववादियों से बातचीत का सुझाव दिया था। ये बताता है कि भाजपा-पीडीपी गठबंधन में राज्य में शांति बहाल रख पाने में नाकामयाब है। उन्होंने कहा यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान 2008 में जम्मू-कश्मीर में 61.16 प्रतिशत मतदान हुए। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में 65 प्रतिशत वोट पड़े लेकिन एनडीए सरकार के दौरान उपचुनाव में केवल 7 प्रतिशत ही मतदान हुए। री-पोल हुआ तो यह घटकर कर मात्र दो प्रतिशत रह गया। इसके बाद चुनाव आयोग को चुनाव की तारीखें आगे बढ़ानी पड़ी। लोगों मतदान करने में भी स्वयं को सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे हैं। वहीं राज्य का विकास तो दूर की बात है जिन प्रोजेक्ट्स का यूपीए सरकार के दौरान उद्घाटन किया गया था, वो भी अब तक ऐसा ही पड़ा है।
उन्होंने कहा कि अब पिछले छह सालों से जम्मू-कश्मीर की तुलना की जा सकती। रोज पीडीपी और भाजपा के नेता एक दूसरे के खिलाफ बयान देते हैं। वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों की बात की जाए तो एनडीए सरकार के कार्यकाल में लगातार इस पर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार अपनी नीति और नीयत को देश की जनता के सामने रखे। इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में तब तक शांति नहीं होगी, जब तक वहां बीजेपी-पीडीपी सरकार है। गवर्नर रूल कोई हल नहीं होता, उन्हें अपना रास्ता बदलना होगा।‘
दरअसल ये सारी कवायत उस वक्त की जा रही हैं जब कश्मीर की घाटी में तनाव पसरा हुआ है। नौ अप्रैल को श्रीनगर लोकसभा सीट के उपचुनाव में कश्मीरी युवकों की मौत के बाद इलाके में अशांति है। इसके बाद घाटी में काफ़ी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है। ऐसी स्थिति में, पीडीपी के लिए स्थिति और गंभीर होती जा रही है। ऐसे में महबूबा मुफ्ती के सामने अपनी जमीन बचाने की चुनौती है।