नई दिल्ली। देश में आज भगवान जगन्नाथ के पावन पर्व रथयात्रा की धूम रही । देश के ओडिशा स्थित पुरी शहर में पूरे परम्परागत तरीके से भगवान जगन्नाथ और उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों को तैयार कर इस पूरे आयोजन का शुभारम्भ किया गया। जहां इस बार लाखों भक्तों ने भगवान जगन्नाथ के रथों को खींचा। यह उत्सव हर साल पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस पर्व का ओडिसा के पुरी में विशेष आयोजन किया जाता है।
इसके पहले विग्रहों को मंदिर परिसर से बाहर लाने के लिए सुबह से भक्तों और मंदिर के पुजारियों का एक बड़ा हुजूम लगा रहा । इस दौरान लगातार भारी बारिश भी होती रही लेकिन यहां मौजूद श्रद्धालुओ का उत्साह बिलकुल भी कम ना हुआ था। लोग लगातर लगे हुए थे। रविवार को भगवान जगन्नाथ की इस रथयात्रा के लिए महीनों से रथों को तैयार करने का काम चल रहा था। इस यात्रा में पूरे लकड़ी के तीन रथों को तैयार किया गया था। सुबह से ही यहां पर धार्मिक कार्यक्रम संपादित किए जा रहे थे।
धार्मिक कार्यक्रम के बाद तीनों विग्रहों को मंदिर परिसर के गर्भग्रह से बाहर खड़े रथों तक लाया जाता है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ और बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ सुदर्शन चक्र को भी इस यात्रा में शामिल किया जाता है। इस पूरे कार्यक्रम के दौरान लोग घंटों, कहलर, महुरी, पंखुजा, मर्दल समेत कई वाद्ययंत्रों से उद्घोष करते हैं। इस दौरान विग्रहों को लाने के पहले पुरी के राजा द्वारा रथों की साफ सफाई की जाती है। इस परम्परा को छेरा पंहारा कहा जाता है।
विग्रहों के रथों में आने के बाद रथों को खींचने का कार्यक्रम शुरू होता जाता है। इस मौके पर रथयात्रा उत्सव को सम्पन कराने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिकों के टुकडियां मौजूद रहीं। बताया जाता है कि यह जगन्नाथ मंदिर तकरीबन 12 वीं शताब्दी का है तब से रथयात्रा की ये प्रथा चली आ रही है। मंदिर से इन रथों में विग्रहों को बैठाकर गुंडिचा के मंदिर तक लेकर जाया जाता है। इसके बाद नौ दिन यह रथयात्रा वापस लौटती है तब जाकर ये उत्सव सम्पन्न माना जाता है।