नई दिल्ली। CBI ने एयर इंडिया और नागर विमानन मंत्रालय के उन अज्ञात तीन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है| यूपीए सरकार के दौरान हुए एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय, दोनों कंपनियों द्वारा विमान खरीदी हुई अनियमितता की जांच होगी। आरोप है कि इन सौदों से सरकारी खजाने को काफी नुकसान हुआ है। सीबीआई ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में इन दोनों कंपनियों के संबंध में किए गए विवादास्पद फैसलों की जांच शुरू कर दी गई है। सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में इस बात का भी जिक्र है कि निजी विमानन कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी एयरलाइन कंपनी द्वारा कई फायदे वाले रास्ते छोड़ दिए।
बता दें कि सीबीआई के प्रवक्ता आर के गौड़ का कहना है कि एयर इंडिया और नागर विमानन मंत्रालय के अधिकारियों और अन्य के खिलाफ आपराधिक षड़यंत्र, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा कि ये मामले यूपीए सरकार के कार्यकाल में मंत्रालय द्वारा लिये गए उन फैसलों से संबंधित हैं जिनसे सरकार को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
पहला एफआईआर सरकारी विमानन कंपनी द्वारा खरीदे गए 111 विमानों को लेकर है। आरोप है इस सौदे में विदेशी विमान निर्माताओं को फायदा पहुंचाया गया, वहीं पहले से आर्थिक संकट से जूझ रही राष्ट्रीय विमानन कंपनियों को वित्तीय घाटा हुआ। कैग ने 2011 में इस सौदे पर सवाल उठाया था।
दूसरा एफआईआर बड़ी संख्या में विमानों को लीज पर दिए जाने से जुड़ा है।
तीसरा एफआईआर मुनाफे वाले रूट विदेशी कंपनियों के लिए छोड़ने को लेकर दर्ज किया गया है। एयर इंडिया के इस फैसले से कंपनी को भारी नुकसान हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 5 जनवरी को इस संबंध में निर्देश दिया था। सीबीआई एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय से जुड़े विभिन्न पहलुओं की भी जांच करेगी। इस विलय की प्रक्रिया तात्कालीन नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने 16 मार्च 2006 को शुरू की थी।