अमृतसर। देशभर में पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी होने से सभी राजनीतिक पार्टीयों में घमासान मचा रखा है। केंद्र सरकार ने हाल ही में GST (Goods Services Tax) लागू किया है। दरअसल पेट्रोल-डीजल को GST से बाहर रखने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों के आधार पर पेट्रोल-डीजल के दाम रोजाना मध्य रात्री 12 बजे तैय किए जाते हैं। इसी घमासान की पुष्टी करने के लिए केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी सोमवार को गुरुनगरी अमृतसर पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि दिवाली तक पेट्रोल के दामों में कमी आने की पूरी संभावना है। धर्मेन्द्र प्रधान ने बताया है कि दरअसल बाल ही में अमेरिका में काफी बहंकर बाढ़ आई थी, जिसके कारण लगभग 13 प्रतिशत रिफाइनरी में तेल कम हो गया था और भारतीय बाजार में पेट्रोल की सप्लाई में भी कमी आ गई थी। जिसके चलते लगातार तेल की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है।
जहां एक तरफ पेट्रोल डीजल के दामों को लेकर विपक्षी पार्टियों ने केंद्र के खिलाफ हल्ला बोल रखा है। ऐसे में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष तथा सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री ने भी पेट्रोल डीजल के दामों को आधार बना कर केंद्र पर निशाना साधा है। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि “पेट्रोल पर टैक्स ग़रीबों के लिए है, तो गरीबों की गैस सब्सिडी ख़त्म क्यों कर रहे है. क्या टू व्हीलरवालों की तरह सब सिलेंडर वाले भी अमीर हैं?”। भारत सरकार ने तेल की कीमतों को रोजाना अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों के आधार पर निर्धारित करने का फैसला लिया था। जिसकी वजह से जनता में पेट्रोल-डीजल की रोजाना होने वाली खपत में भी दिक्कत नहीं होगी।
पेट्रोल पर टैक्स ग़रीबों के लिए है, तो गरीबों की गैस सब्सिडी ख़त्म क्यों कर रहे है. क्या टू व्हीलरवालों की तरह सब सिलेंडर वाले भी अमीर हैं?
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 18, 2017
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सोमवार को गुरुनगरी अमृतसर में अपनी बैठक में यह भी साफ कर दिया कि तेल की सभी कंपनिया सरकारी ही हैं। उन्होंने कहा कि अगर तोल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के बाद अगर सरकार को मुनाफा ज्यादा होता है तो मुनाफे का सारा पैसा जनता के लिए अन्य कामों में लगा दिया जाता है। साथ ही पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान आम लोगों को जल्द ही एक तोफा भी देने की जानकारी दी है, उन्होंने बताया कि तेल उत्पादन को GST के अंतर्गत लाया जा सकता है। पेट्रोलियम काउंसिल लगातार इस पर काम करने में जुटी हुई है।