नई दिल्ली। व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अगले वर्ष तक जीएसटी के साथ दो करोड़ व्यावसायिक प्रतिष्ठान जुड़ने की उम्मीद जतायी है। उसके अनुसार जीएसटी स्वयं में एक समग्र कर सुधार है और इसको केवल कर प्रणाली को ठीक करने की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि कुछ समय बाद इससे देश की अर्थव्यवस्था में अनेक बुनियादी परिवर्तन होने की बड़ी संभावना है।
कैट राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि अगले वर्ष तक जीएसटी में लगभग दो करोड़ व्यावसायिक प्रतिष्ठान जुड़ने की संभावना है। जिसके चलते जीएसटी कर का दायरा बेहद विकसित होगा और इससे आयकर की दरों में भी कमी होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि जहां कर का दायरा विकसित होने से केंद्र एवं राज्य सरकारों के राजस्व में वृद्धि होगी वहीं दूसरी ओर बड़ी मात्रा में अनौपचारिक व्यापार औपचारिक रूप में तब्दील होगा। इन स्थितियों में निश्चित रूप से देश की जीडीपी में तो वृद्धि होगी साथ ही देश का घरेलू निर्माण सेक्टर भी मजबूत होगा ओर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की प्रतिस्पर्धा भी मजबूत होगी। किन्तु इसके लिए जीएसटी कर प्रणाली को इतना सरल करना पड़ेगा जिसे एक साधारण व्यापारी भी आसानी से अपना सके।
प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि नेशनल सैंपल सर्वे आर्गेनाईजेशन के वर्ष 2015-16 के सर्वे के मुताबिक देश के गैर कॉर्पोरेट क्षेत्र में 6.34 करोड़ छोटे व्यावसायी हैं। जीएसटी कानून में न केवल माल एवं सेवा की आपूर्ति बल्कि व्यापार के दौरान किसी भी प्रकार की बिक्री, ट्रांसफर, एक्सचेंज, बार्टर, रेंट, लीज, लाइसेंस अथवा डिस्पोजल या माल अथवा सेवा का आयात जीएसटी कर दायरे में आएगा। इस परिभाषा से जीएसटी का दायरा काफी विस्तृत रूप से विकसित हो गया है। जबकि पहले के कानून में एक्साइज अथवा वैट कानून में माल की बिक्री या सर्विस टैक्स कानून में सेवा की अदायगी ही केवल कर के दायरे में आती थी।
कैट महामंत्री ने कहा कि उपरोक्त परिभाषा के आधार पर ऐसा कोई भी प्रतिष्ठान अथवा व्यक्ति जिसका सभी स्रोतों से भारत भर में वार्षिक टर्नओवर यदि 20 लाख रुपये से अधिक है तो उसे जीएसटी में पंजीकरण करना अनिवार्य है। इस आधार पर व्यावसायिक प्रतिष्ठान, व्यक्ति, एसोसिएशन, एनजीओ, सोसायटी, एजेंट, ब्रोकर, कमीशन एजेंट, मकान मालिक, बैंक, वित्तीय संस्थान, कंसलटेंट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, विशेषज्ञ, चार्टर्ड इंजीनियर, ई-कॉमर्स पोर्टल आदि शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि जीएसटी से पहले कपड़ा, तंबाकू और चीनी पर एडिशनल एक्साइज ड्यूटी लगती थी| इसी कारण से ये तीनों वस्तुएं कर के दायरे में नहीं थी लेकिन अब इस ड्यूटी को भी जीएसटी में समाहित कर देने से ये तीनों वस्तुएं भी जीएसटी के दायरे में आ गयी हैं। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक लगभग 80 लाख प्रतिष्ठानों को जीएसटी में माइग्रेट होना था जिसमें से लगभग 70 लाख हो चुके हैं और लगभग 7 लाख नए पंजीकरण अब तक हुए हैं। फिलहाल जीएसटी नेटवर्क का पोर्टल नए पंजीकरणों के लिए खुला हुआ है और उम्मीद है कि अगले वर्ष तक लगभग 2 करोड़ व्यवसायी इससे जुड़ जायेंगे।