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…तो इसलिए सिर्फ लिखे हुए भाषण ही पढ़ती है मायावती

mayawati ...तो इसलिए सिर्फ लिखे हुए भाषण ही पढ़ती है मायावती

लखनऊ। maywa। मगर आप जानते हैं कि मायावती लिखे हुए भाषणा ही क्यों पढ़ती है इस बात का खुलासा खुद मायावती ने किया है।

mayawati ...तो इसलिए सिर्फ लिखे हुए भाषण ही पढ़ती है मायावती

अम्बेडकर जंयती के अवसर पर लखनऊ में पार्टी कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए मायावती ने कहा कि साल 1996 में उनके गले का बड़ा ऑपरेशन हुआ था और पूरी तरह खराब हो चुका एक ‘ग्लैण्ड’ डॉक्टरों ने निकाल दिया था। मायावती ने कहा कि बिना लिखे भाषण बोलने में ऊंचा बोलना पड़ता है लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें ऊंचा नहीं बोलने की सलाह दी है। आगे बोलते हुए मायावती ने कहा कि डॉक्टरों की सलाह के कारण ही वो सिर्फ लिखा हुआ भाषण ही पढ़ती है।

पॉलिसी में बड़ा बदलाव

अम्बेडकर की जंयती पर मायावती ने पार्टी के चेहरों में बदलाव करते हुए अपने छोटे भाई आनंद कुमार को पार्टी उपाध्यक्ष बनाने का ऐलान किया। आनंद को उपाध्यक्ष बनाए जानें पर मायावती ने कहा, ”मैंने इस शर्त के साथ आनंद कुमार को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने का फैसला ले लिया है कि वह पार्टी में हमेशा नि:स्वार्थ भावना से कार्य करता रहेगा और कभी भी सांसद, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री आदि नहीं बनेगा।’

इस दौरान मायावती ने संकेत दिया कि भाजपा के विजयी रथ को रोकने के लिए भाजपा विरोधी दल के साथ हाथ मिला सकती है। मायावती के इस बयान के बाद एक बार फिर इस बात की अटकलें तेज हो गई है कि बसपा और सपा एक साथ आ सकते हैं।

तीन तलाक पर दिया बयान

इन दिनों राजनीतिक गलियारों का सबसे बड़ा चर्चा का विषय बनी हुए तीन तलाक के मुद्दे पर बोलते हुए मायावती ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तलाक पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने में लगातार असफल साबित हो रहा है।

नहीं बैठेंगी चुप

मायावती ने कहा कि लोकतंत्र बचाने के लिए अब मैं कदम पीछे हटाने वाली नहीं हूं। हमारी पार्टी भाजपा द्वारा ईवीएम की गड़बड़ी के खिलाफ बराबर संघर्ष करेगी और इसके लिए भाजपा विरोधी दलों से भी हाथ मिलाना पड़ा तो अब उनके साथ भी हाथ मिलाने में परहेज नहीं है।

तीन दिन पहले यूपी के सभी जिलों के हेडक्वार्टर पर ईवीएम के विरोध पर ईवीएम के विरोध में बड़ा प्रदर्शन किया था। ईवीएम में धांधली की गई थी। उसे ध्यान में रखते हुए मैंने पार्टी से आग्रह किया था कि आज पदाधिकारी यहां आएं, ज्यादा नहीं पर इतने लोगों को यहां आकर देखकर मैं आपका फिर से आभार प्रकट करती हूं।

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