हमीरपुर। बसपा राष्ट्रीय महासचिव की जनसभा में भीड़ कम होने का अंदाजा शायद पार्टी के नेताओं को पहले से ही था इसी लिए रामलीला मैदान जैसे छोटे स्थान का चयन किया गया। वहीं बैरिकेटिंग के माध्यम से भी लोगों को समेटने का प्रयास किया गया। जिससे लोग यहां वहां खडे न होने पायें और मैदान भरा हुआ दिखे।इस जनसभा में यह भी मजेदार बात देखी गई कि जितने लोग अन्य विधानसभा क्षेत्र से आये हुए थे जो कि पार्टी के ही पदाधिकारी थे उतने से कहीं कम राठ विधानसभा क्षेत्र की जनता होगी। इस जनसभा में आम जनता से ज्यादा पार्टी के ही लोग दिखाई दे रहे थे। जबकि शायद इस सभा का मकसद आम जनता को पार्टी की नीतियों से परिचित कराना होगा।
नहीं गये पूज्य स्वामी जी की समाधि स्थल- स्वामी ब्रम्हानन्द जी महाराज न सिर्फ राठ क्षेत्र बल्कि समूचे बुन्देलखण्ड की जनता के आराध्य हैं। किसी भी पार्टी का एैसा कोई राजनेता नहीं जो नगर में आये और स्वामी जी की समाधि पर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करने न पहुंचे किन्तु बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा ने स्वामी जी की समाधि पर जाना शायद मुनासिब नहीं समझा। जबकि बताया जाता है कि उनका काफिला उसी मार्ग से गुजरा। सभा को संबोधित करने के बाद मीडियाकर्मियों ने सोचा कि शायद अब सतीश मिश्रा स्वामी जी की समाधि पर पहुंच कर उन्हें नमन करेगे जिस वजह से मीडियाकर्मी ब्रम्हानन्द महाविद्यालय स्थित समाधि स्थल पहुंच गये। वहां पहुंचने के बाद मालूम हुआ कि सतीश मिश्रा का समाधि स्थल जाने का कोई कार्यक्रम नहीं है।
2012 में बसपा सुप्रीमो का समाधि स्थल पर न जाना बना था हार का कारण- बिगत 2012 के विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी रामसहाय अहिरवार के समर्थन में एक जनसभा को संबोधित करने बसपा सुप्रीमो मायावती नगर आईं थीं। उन्होंने नगर के ब्रम्हानन्द इंटर कालेज में जनसभा को संबोधित किया। किन्तु वहीं सामने महाविद्यालय में स्थापित स्वामी जी की समाधि पर जाना उन्होंने मुनासिब नहीं समझा। जिस वजह से क्षेत्र के मतदाताओं ने एकजुट होकर बसपा प्रत्याशी हो हरा बसपा सुप्रीमो को मुहतोड़ जबाब दिया था। बसपा सुप्रीमों के पगचिन्हों पर चलने वाले बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा का भी समाधि स्थल न जाना कसबे में चर्चा का विषय रहा।
-सन्तोष चक्रवर्ती