महाराष्ट्र। मुंबई शहर को हादसों का शहर कहा गया है। कभी ना रुकने वाला शहर मुंबई एक वक्त के लिए थम गया जब वो एक हादसे का चश्मदीद बना। मुंबई में परेल-एलफिंस्टन स्टेशन के पास बने पुल पर ज्यादा भीड़ की वजह से भगदड़ मच गई जिससे एक बड़ा हादसा हो गया। ये हादसा सुबह 10 बजकर 45 मिनट के आस-पास हुआ।
रोजाना की तरह भागती-दौड़ती मुंबई में लोग अपने काम के लिए भाग रहे थे। पुल पुराना हो चुका था और बहुत पहले सी ही इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा था कि शायद ये बोझ ना झेल पाए। भारी बारिश हमेशा से ही मुंबई को कमजोर करती चली आई है। उस वक्त भारी बारिश हो रही थी और फुटओवर ब्रिज पर खासी भीड़ थी। यह पुल एल्फिंस्टन रोड और परेल उपनगरीय रेलवे स्टेशनों को जोड़ता है। बारिश से बचने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकट्ठा हो गए थे।
बता दें कि लाखों लोग क्षेत्र में स्थित कार्पोरेट और मीडिया कार्यालयों के साथ ही व्यावसायिक केंद्रों तक पहुंचने के लिए इस पुल का उपयोग करते हैं। पुल पर भीड़ इतनी ज्यादा बढ़ गई की पुल कमजोर होकर टूट गया। पुल के टूटते ही बड़ी संख्या में लोग सीढ़ियों और दशकों पुराने इस संकरे पुल पर फंस गए. इससे कई लोगों की मौत दम घुटने के कारण हो गयी. नीचे प्लेटफार्म पर खड़े लोग बेबस होकर हादसा देख रहे थे. कई लोग रेलिंग पर चढ़कर अपनी जान बचाने का प्रयास करने लगे। इस हादसे में तकरीबन 22 लोगों की मौत हो गई।
वहां के एक यात्री ने बताया कि पुल की स्थिति बहुत पहले से खराब थी और हमने छह महीने पहले ही रेलवे प्रशासन को एक पत्र सौंपकर यहां की खराब स्थिति को सुधारने के लिए कुछ कदम उठाने का अनुरोध किया था, लेकिन किसी भीव तरह का कोई काम नहीं किया गया।
सरकार समय पर अपना काम नहीं करती और जब कोी बड़ा हादसा हो जाता है तो मुआवजा दे देती है। इस घटना के बाद भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हादसे पर शोक जताते हुए मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। मृतकों के परिजनों के लिए 10-10 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की गई। रेल मंत्री पीयूष गोयल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने पांच-पांच लाख रुपये की मुआवजा राशि की घोषणा की है।
लोगों में इस हादसे को लेकर बड़ा आक्रोश देखने को मिला। लोगों ने माना कि ये हादसा कभी ना कभी तो होना ही था क्योंकि पुल की हालत देखकर कोई भी अंदाजा लगाया सजा सकता था कि ये पुल इतना बोझ झेलने लायक नहीं है।एक महिला ने कहा कि कोई और चारा नहीं था और हमें यही ब्रिज इस्तेमाल करना पड़ता था। हमारी कोई नहीं सुनता और यह हमेशा से ही ऐसा रहा है।इस हादसे के लिए बारिश के साथ ही शॉट सर्किट को भी कारण बताया गया।
जब ये हादसा हुआ तो राहत और बचाव कार्य के लिए आपदा प्रबंधन और फायर ब्रिगेड की टीमें हादसे के आधे घंटे बाद पहुंची। तब तक स्टेशन पर मौजूद लोगों ने घायलों को बचाने और उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने में मदद की। उस वक्त का मंजर बहुत भयानक था क्योंकि एक के ऊपर एक लाशें पड़ी थीं और बहुत ज्यादा लोग घायल हो चुके थे। लोग एक दूसरे की मदद भी कर रहे थे।ज्यादातर घायलों को मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के किंग एडवर्ड मेडिकल (केईएम) कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
ब्रिज से हर मिनट 200 से 250 लोग गुजरते हैं। ब्रिज को लेकर पहले भी चेतावनी दी गई थी कि वह कभी किसी बड़े हादसे का शिकार हो सकता है, लेकिन प्रशासन की तरफ से इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।इस हादसे के बाद रेलवे प्रशासन पर सीधे उंगली उठी। एलंफिन्सटन रोड स्टेशन के फुटओवर ब्रिज की खस्ता हालत को सुधारने के लिए पहले भी मांग हो चुकी थी।