नई दिल्ली। बोफोर्स तोप घोटाले में हमेशा से खुलासे होते आए हैं। इसी मामले में एक और खुलासा हुआ है। इसी मामले में लगभग तीन दशक पहले हुई बोफोर्स तोपों की डील के घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर भी कई सवाल उठतें रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मामले में स्वीडन के जांच अधिकारी स्टेन लिंडस्टॉर्म के माध्यम से कई अहम खुलासे किए हैं। लिंडस्टॉर्म स्वीडन इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट के चीलसफ थे और बोफोर्स घोटाले में चीफ इन्वेस्टिगेटर थे। लिंडस्टॉर्म अब 71 साल के हो गए हैं और उन्होंने कभी कोई टीवी इंटरव्यू नहीं दिया।
बता दें कि लिंडस्टॉर्म ने ये मुख्य दावे किए हैं। राजीव गांधी बोफोर्स डील में गैरकानूनी तरीके से हो रहे पेमेंट्स के बारे में जानते थे। राजीव गांधी ने स्वीडिश प्रधामंत्री से एक फ्लाइट में पेमेंट्स के बारे में चर्चा की थी। राजीव चाहते थे कि बोफोर्स डील के बदले स्वीडिश पीएम भी फंड्स रिसीव करें। लिंडस्टॉर्म के पास 350 डॉक्युमेंट्स थे। इनमें बैंक्स को दलाली के पेमेंट के इंस्ट्रक्शंस, हैंडरिटन नोट्स, मिनिट्स ऑफ मीटिंग्स और बोफोर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर मार्टिन अर्ब्डो की डायरी शामिल थी। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने सवाल उठाए हैं कि क्या यह संभव है कि राजीव गांधी केवल एक आवाज थे और इसके पीछे सोनिया गांधी का दिमाग था?
साथ ही आर्मी के लिए 400 तोपें खरीदने की यह डील 1986 में हुई थी। इसमें इटली के कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोची को बड़ी दलाली दी गई थी। राजीव गांधी पर इस मामले में कई आरोप लगे थे। इस कांड के चलते 1989 में राजीव गांधी की सरकार भी गिर गई थी। हालांकि कांग्रेस ने हमेशा भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की भूमिका से मना किया है।