नई दिल्ली। चुनावी सियासी बिसात में अब विधानसभा चुनाव के बाद अगली जंग राष्ट्रपति चुनाव को लेकर है। एनडीए को उम्मीद है कि उसके पास भारी जीत हासिल करने के लिए अंकगणित मौजूद है। जिसकी वजह से वो राष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत हासिल कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एनडीए को इस चुनाव में उम्मीद है कि वो 54 फीसदी वोट हासिल करेगी। बीजेपी को यकीन है कि तेलंगाना में सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और तमिलनाडु में एआईएडीएमके के वोट उसके उम्मीदवार के खाते में आएंगे। हालिया चुनावों में जीत के बाद अब बीजेपी नेतृत्व चाहता है कि राष्ट्रपति चुनाव में जीत के साथ देश की सियासत में एक बार फिर अपने वर्चस्व की मुहर लगाए।
विपक्षी मिटिंग से होगी एनडीए को फायदा
बता दें कि मीडिया से बात करते हुए एक बीजेपी नेता का कहना है कि डीएमके के कांग्रेस को समर्थन देने और सोनिया गांधी की ओर से बुलाई गई मीटिंग में शामिल होने के बाद एआईएडीएमके का वोट हमें मिलना तय हो गया है। सोनिया गांधी ने बीते शुक्रवार को राष्ट्रपति चुनाव पर रणनीति को लेकर विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाई थी। बैठक में आम राय ये बनी कि विपक्ष के उम्मीदवार के ऐलान से पहले एनडीए खेमे के अगले कदम का इंतजार करेगा। हालांकि मीटिंग में कई अहम नेता शामिल नहीं थे जैसे- बिहार के सीएम नीतीश कुमार और बीजेडी नेता नवीन पटनायक मीटिंग में नहीं थे। बीजेपी नेता ने कहा कि विपक्षी एकता को लेकर कांग्रेस की मुहिम दिलचस्प है। भ्रष्टाचार में फंसे लालू प्रसाद और कणिमोझी जैसे नेताओं को छोड़कर शुक्रवार की मीटिंग से विपक्ष को कुछ भी हासिल नहीं हुआ।
क्या है अंकगणित का लॉजिक
मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 25 जुलाई को खत्म हो रहा है। राष्ट्रपति चुनाव के इलेक्टोरल कॉलेज में कुल 10,98,882 वोट होते हैं। जीत के लिए कम से कम 5,49,442 वोट जरूरी हैं। एनडीए के पास राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित इलेक्टोरल कॉलेज में तकरीबन 48.64 फीसदी वोट हैं। बीजेपी 5 लाख 32 हजार 19 मगर इनमें से करीब 20 हजार कीमत के वोट एनडीए की सहयोगी पार्टियों के हैं। योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य और पर्रिकर के इस्तीफे रुकवाकर बीजेपी ने 2100 वोटों की कमी पूरी कर ली है। देश के 29 राज्यों में से बीजेपी 12 पर काबिज है। एनडीएम बीजेपी को मिलाकर 15 राज्यों पर काबिज है।