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विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज को झटका, राघौगढ़ निकाय चुनाव में हारी भाजपा

congress 5 विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज को झटका, राघौगढ़ निकाय चुनाव में हारी भाजपा

भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार को विधानसभा चुनाव से पहले तगड़ा झटका लगा है। यहां के गुना जिले के राघौगढ़ नगर पालिका के चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की सत्ता पर काबिज बीजेपी को करारी शिकस्त दी है। कांग्रेस ने राघौगढ़ की 24 में से 20 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि बीजेपी के खाते में सिर्फ चार सीटें ही आई हैं। नगर निकाय चुनाव में जबरदस्त जीत पाने के बाद दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का मनोबल बढ़ गया है, वहीं बीजेपी की हार ने शिवराज सरकार को चिंता में डाल दिया है। आपको बता दें कि पिछले 20 सालों से राघौगढ़ नगर पालिका परिषद पर कांग्रेस का कब्जा है। मोदी लहर के बावजूद अपने गढ़ को बचाए रखना कांग्रेस के लिए एक अच्छा संकेत है।

congress 5 विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज को झटका, राघौगढ़ निकाय चुनाव में हारी भाजपा

बता दें कि गुना जिला राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का गृहनगर है, जिसके चलते यहां का चुनाव प्रदेश भर में चर्चा का विषय बना रहा। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस बार नगर पालिका चुनाव के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी प्रचार करने के लिए गुना पहुंचे थे। सीएम की सभा के बाद बीजेपी और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प भी हुई थी। कांग्रेस के गढ़ में कमल खिलाने के लिए सीएम शिवराज के साथ प्रदेश के कई नामी भाजपाईयों ने कमल खिलाने का प्रयास किया था। सीएम के अलाव केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से लेकर वरिष्ठ नेता प्रशात झा भी प्रचार करने उतरे थे।

वहीं कांग्रेस की तरफ से विधायक जयवर्धन सिंह ने मोर्चा मुख्य रुप से संभाला हुआ था। लेकिन इसके बावजूद बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी। वहीं दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव को देखते हुए गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को मध्यप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त करना एक सुनियोजित फैसला बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि आनंदीबेन को बतौर राज्यपाल मध्यप्रदेश भेजने के पीछे का मकसद राज्य में कमजोर होती बीजेपी को मजबूती देना है। गुजरात चुनाव के कारण आनंदीबेन का राज्यपाल बनाने के फैसले पर अमल नहीं किया गया था, क्योंकि पाटीदार आंदोलन की वजह से बीजेपी को आनंदीबेन जैसे बड़े पाटीदार नेता की जरूरत थी।

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