पटना। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की सुरक्षा में कोताही के बाद से ही बिहार में राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के बीच में बयानो के बाण पर बाण छुट रहे हैं, दोनों एक दूसरे पर हमला बोलने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं, लेकिन अब इस आरोप-प्रत्यारोप में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी कूद पड़े है। तेजस्वी ने सीएम नीतीश पर हमला बोलेते हुए लिखा कि घोटालों पर चुप रहना ही सबसे बड़ा घोटाला है और छोटे कर्मचारियों को बलि बनाना सबसे बड़ी कार्रवाई है। तेजस्वी ने आगे लिखा कि मुख्यमंत्री घोटालों पर अपना मुंह क्यों नहीं खोलते? छुपो न छुपो न..! ना चुपो! जनता जवाब मांग रही है महोदय?
गौरतलब है कि ट्विटर वार का ये सिलिसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुरू किया हैं इसलिए लालू यादव जब जबाव देते हैं और नीतीश के ट्वीट से लगता हैं कि उस जवाब को पढ़कर वो नया ट्वीट करते हैं। फिलहाल ट्विटर पर ये वार किसने कितने घोटाले किए हैं इस बात पर आधारित है। लालू यादव ने अपने जवाब में लिखा था कि नीतीश ने अपने नाक के तले चालिस घोटाले करवाएं। जिसके जवाब में नीतीश ने लिखा कि घोटालों को उजागर करना और घोटालेबाजों के खिलाफ कारवाई करना बड़ा घोटाला हैं। नीतीश इस बात से भली भांति परिचित हैं कि घोटाले के बहस में फिलहाल कोई उन्हें खासकर लालू यादव नसीहत दे सकते।
वहीं दूसरी तरफ लालू यादव का परिवार भी इस बात को स्वीकार करने में कभी पीछे नहीं हटा कि उसके द्वारा किए गए चारा घोटाला हो या मॉल घोटाला इन्हें उजागर करने के पीछे नीतीश ने अहम भूमिका निभायी थी। ऊपर से नीतीश ने अंत में भ्रष्टाचार को लेकर ही लालू और कांग्रेस का साथ छोड दिया था। उनको उम्मीद होगी कि विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर देर-सवेर जांच एजेंसियों की चार्ज शीट जरूर झेलेंगे। ये माना जाता हैं कि नीतीश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच में दूरी भी नोटबंदी और बेनामी संपती पर उनके समर्थन के बाद ही घटी।