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2015-16 में बिहार ने झेला 12,061 करोड़ का राजकोषीय घाटा

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पटना। बिहार का राजकोषीय घाटा वर्ष 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष 2015-16 में 12,061 करोड़ रुपये था जो कुल व्यय का 11 प्रतिशत है। बिहार सरकार में वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी ने विधान सभा में भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक की ओर से राज्यपाल को सदन पटल पर रखने के लिए भेजे गए वर्ष 2015-16 का वित्त लेखा और विनियोग लेखा को सदन के समक्ष उपस्थापित किया।

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लेखा सारांश के अनुसार उक्त अवधि में राज्य का राजस्व अधिक्य 12, 507 करोड़ रुपये और राजकोषीय घाटा 12,061 करोड़ रुपये था। इस घटा को सरकार ने लोक ऋण में वृद्धि कर और लोक लेखा में कमी कर पूरा करने को कोशिश की गई।

इसमें बताया गया है कि इस अवधि में सरकार ने 83, 616 करोड़ रूपये राजस्व व्यय किया जो बजट अनुमान से 7,593 करोड़ रूपये कम था। रिपोर्ट में बताया गया है कि आयोजना व्यय के तहत 2500 करोड़ रुपये तथा ग़ैर योजना व्यय के तहत 5089 करोड़ रुपये कम खर्च होने के कारण राजस्व व्यय में कमी हुई है।

यह राजस्व व्यय राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 20 प्रतिशत था। रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2014-15 तथा वर्ष 2015-16 के बीच सकल घरेलु उत्पाद में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई और राजस्व संग्रह में 23 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2014-15 की तुलना में वर्ष 2015-16 में कर राजस्व तथा करेतर राजस्व में क्रमशः 29 प्रतिशत तथा 40 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

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