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जहां शवयात्रा में दिलाया जाता है ‘नशा मुक्ति’ का संकल्प

Shav Yatra जहां शवयात्रा में दिलाया जाता है 'नशा मुक्ति' का संकल्प

खगड़िया। बिहार के खगड़िया जिले के मानसी प्रखंड क्षेत्र के एक ग्राम पंचायत में निकलने वाली शवयात्रा में पारंपरिक ‘राम नाम सत्य है’ उच्चारण के अलावा नशा मुक्ति का संदेश भी दिया जाता है। नशा मुक्ति के लिए समाज को जागरूक करने का यह प्रयास खुटिया ग्राम पंचायत में पिछले दो वर्षो से चल रहा है। इसके लिए पंचायत के एकनिया गांव के युवकों ने लोगों को नशा मुक्ति के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए बजाप्ता ‘नशा मुक्त भारत’ नाम से एक संगठन बना लिया है।

Shav Yatra जहां शवयात्रा में दिलाया जाता है 'नशा मुक्ति' का संकल्प

संगठन के प्रमुख प्रेम कुमार यशवंत ने आईएएनएस को बताया कि शवयात्रा के दौरान लोगों को जागरूक करने का मकसद सिर्फ यह बताना है कि किसी भी व्यक्ति की इसी तरह अंतिम यात्रा अपनी ही गलती से यानी नशापान के कारण न निकले। स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मानने वाले यशवंत बताते हैं कि वर्ष 1982 में अपने व्यावसायिक गुरु के पास काम के सिलसिले में गुवाहाटी गए थे। इसी दौरान उन्होंने देखा कि शराब ने उनके खुशहाल परिवार को उजाड़ दिया। यहीं से उन्हें अभियान चलाने की प्रेरणा मिली।

कपड़ा व्यवसाय से जुड़े यशवंत ने बताया कि इस अभियान की शुरुआत एकनिया गांव में घर-घर जाकर लोगों को नशा से होने वाली बीमारियों के बारे में बताकर की। इसके बाद इस अभियान का लोगों पर असर पड़ने लगा। इस तरह कारवां बढ़ता गया और लोग जुड़ते गए। यशवंत के मुताबिक, आज संगठन से करीब 60 लोग सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया, “नशा जीवन को असमय अंत की ओर लेकर जाता है। इस सत्य का दर्शन शवयात्रा से इतर और कहां हो सकता है? इसलिए लोगों तक नशा मुक्ति का संदेश पहुंचाने के लिए उन्होंने अंतिम यात्राओं का चयन किया।”

उन्होंने बताया कि संगठन के लोग पंचायत या अब जिले के किसी भी व्यक्ति के अंतिम संस्कार में शामिल होते हैं और शवयात्रा में शामिल अन्य लोगों को नशा मुक्ति के लिए जागरूक करते हैं। खुटिया ग्राम पंचायत के पूर्व मुखिया कौशल सिंह भी यशवंत के इस पहल की प्रशंसा करते हुए आईएएनएस से कहा कि शुरुआत में इस अभियान में संगठन के लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा, लेकिन अब इस संगठन के लोगों को शवयात्राओं में शामिल होने के लिए बुलाया जाता है।

वे कहते हैं कि बिहार में शराबबंदी कानून के बाद इस मुहिम को और बल मिला है। यही वजह है कि नशा मुक्ति का यह अभियान अब आसपास के अन्य गांवों में भी चलाया जा रहा है। यशवंत बताते हैं कि कई जगहों पर देखा जाता है कि अंत्येष्टि के समय एक तरफ पूरे विधि-विधान से शव को तो जलाया जाता है, लेकिन दूसरी तरफ गुटखा, सिगरेट, बीड़ी व तंबाकू जैसे नशीले पदार्थो का सेवन भी किया जाता है।

वह कहते हैं कि संगठन के लोग अंत्येष्टि के समय लोगों से किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करने की और न ही बांटने की सलाह देते हैं। लोगों को नशामुक्ति का संदेश देकर उनसे नशा छोड़ने का संकल्प भी दिलवाते हैं।

उल्लेखनीय है कि बिहार में पांच अप्रैल से पूर्ण शराबबंदी लागू है।

(आईएएनएस)

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