नई दिल्ली। अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के दौरान कई ऐसी घटनाएं हुई जिन्हें लोग भूल नहीं सकते। लेकिन इस बीच कुछ घटनाएं ऐसी भी हुई जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ऐसी ही एक घटना हुई थी दिल्ली में जिसके बारे में शायद ही ज्यादा लोग जानते हो। लेकिन कुछ किताबों में इस घटना का जिक्र पाया जाता है। दरअसल ये घटना है उस वक्त के राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा कि जिसका जिक्र आज भी भोपाल में किया जाता है। आज के दिन बाबरी मस्जिद विध्वंस हुआ था तो इस घटना को याद करना तो लाजमी है।
वहीं जिस वक्त 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस हो रहा था तो राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा दिल्ली में फूट-फूटकर रो रहे थे और प्रधानमंत्री नरसिंहराव अपने बंगले में चैन से सो रहे थे। डॉ. शर्मा बाबरी का विध्वंस रोकने के लिए हस्तक्षेप करना चाहते थे। लेकिन उनकी ये इच्छा पूरी नहीं हो सकी। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा और तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंहराव के कार्यकाल में कई घटनाएं हुई। जिनमें से बाबरी मस्जिद विध्वंस एक ऐतिहासिक घटना है।
बता दें कि उस घटना से डॉ. शर्मा इतने असहाय थे कि वो प्रधानमंत्री नरसिंहराव से भी नहीं मिले। डॉ. शंकर दयाल शर्मा 1992 से 1997 तक देश के राष्ट्रपति रहे। इस घटना का जिक्र कुछ सालों पहले मार्किट में आई किताब में हुआ। किताब में बताया गया कि जिस वक्त कार सेवकों ने बाबरी मस्जिद को गिराने के लिए चढ़ाई की थी। उस वक्त मदद के लिए समाजसेवियों और मुस्लिम नेताओं को फोन किया गया लेकिन वहां से कोई राहत नहीं मिली। उसके बाद लोग डॉ. शंकर दयाल शर्मा से मिलने पहुंच गए लेकिन वहां जाकर उन्होंने देखा कि राष्ट्रपति फूट-फूटकर रो रहे हैं। वो सभी लोग राषट्रपति से बाबरी ढांचे के मामले में हस्तक्षेप कराने आए थे।
रानी नक़वी