झांसी। चित्रकूट मंडल मुख्यालय बांदा में जल संकट लगातार गहराता जा रहा है गर्मियां शुरू होते ही यहां के लोग बूंद बूंद पानी के लिए मोहताज हो गए हैं। तालाब,जलाशय तो पहले ही सूख चुके थे अब केन नदी का पानी भी बेहद कम होने से यहां के बाशिंदे गंदा पानी पीने पर मजबूर हैं। बांदा में यूं तो बहुत विकास हुआ है लेकिन यहां के विकास की एक कड़वी बानगी बयां करती है। यहां के हालात देखकर सरकार के मेक इन इंडिया और डिजिटल भारत मिशन के रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
बांदा तहसील के दुरेदी,दर्दा,अछरौंड़, त्रिवेणी,उजरेहता,बोधीपूर्वा और भूरागढ़ जैसे दर्जनों गांवों में हज़ारो की आबादी ने पिछले कई सालो से साफ़ पानी देखा ही नहीं। इनकी जिंदगी और जानवरों की जिंदगी में बहुत ज्यादा कोई फर्क नहीं है। इन गांवों में आज इंसान भी केन नदी का गंदा पानी पीते है और जानवर भी। इन गांवों में ना ही कोई कुआं सही है और ना ही कोई हैंडपंप।
तालाब और जलाशय भी सूख चुके हैं और सरकारी नल भी शो-पीस बन चुके हैं। नदी के इस गंदे पानी को पीकर यहां के बच्चे ज्यादातर बीमार हैं और कईयों की यहां मौत भी हो गयी लेकिन किसी ने इसकी कोई सुध नहीं ली। यही हाल कमोबेश नरैनी,कमासिन,बबेरू तहसील के भी सैकड़ो गांवों का है जहां इंसान और जानवर एक ही पानी पीने को मजबूर हैं।
इस संबंध में जिलाधिकारी योगेश कुमार ने बंद पेयजल योजनाओं को तत्काल चालू करने और हैंडपंपों को रिबोर कराने की बात कही। डीएम का कहना है कि तीन सप्ताह के भीतर व्यवस्था सुधार दी जाएगी।