नई दिल्ली। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम द्वारा विश्वास मत के दौरान विधानसभा की कार्यवाही को चुनौती देने के मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। वेणुगोपाल ने कहा कि वे ओ पन्नीरसेल्वम को इस मामले पर कानूनी सलाह दे चुके हैं। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार को कोर्ट की मदद करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर 11 जुलाई को सुनवाई करेगा। पिछले 5 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल को सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने का निर्देश दिया था।
वहीं पिछले 21 अप्रैल को ओ पन्नीरसेल्वम ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनके गुट का मुख्यमंत्री ई पलानीसामी गुट के साथ विलय की बात चल रही है| इसलिए फिलहाल सुनवाई स्थगित कर दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बात को रिकॉर्ड में लेते हुए पन्नीरसेल्वम की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी थी। पिछले दस मार्च को ओ पन्नीरसेल्वम ने मुख्यमंत्री ई पलानिसामी द्वारा विश्वास मत के दौरान विधानसभा की कार्यवाही को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती थी। संविधान की धारा 32 के तहत दायर इस याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट के स्वतंत्र पर्यवेक्षक की निगरानी में विधानसभा में फिर से विश्वास मत हासिल करने का निर्देश दिया जाए। याचिका में कहा गया है कि विश्वास मत गुप्त मतदान के जरिये हासिल करने का निर्देश दिया जाए।
आपको बता दें कि 234 सदस्यों की तमिलनाडु विधानसभा में मुख्यमंत्री ई पलानिसामी ने 11 के मुकाबले 122 मतों से विश्वासमत हासिल की थी। विपक्षी दलों ने विश्वास मत के दौरान विधानसभा में अफरातफरी की शिकायत करते हुए वाकआउट किया था। याचिका में पन्नीरसेल्वम ने कहा है कि विश्वास मत के लिए एआईएडीएमके के 122 विधायक शशिकला के कथित कैद से सीधे विधानसभा पहुंचे थे| ऐसे में विधानसभाध्यक्ष को कार्यवाही स्थगित कर देनी चाहिए थी। पन्नीरसेल्वम ने याचिका में कहा है कि 122 में से 11 विधायक पन्नीरसेल्वम गुट के थे जिन्हें विधानसभाध्यक्ष ने पलानिसामी का समर्थक मान लिया। पन्नीरसेल्वम ने गुप्त मतदान की प्रक्रिया न अपनाने पर भी सवाल खड़े किए हैं।