नई दिल्ली। असम में विधानसभा ने बुजुर्गों को लेकर एक विधेयक पारित किया है जिसमें कहा गया है कि अगर कोई भी अभिभावक अपने मां-बाप की सेवा नहीं करता है तो उसके वेतन में 10 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। साथ कटी हुई तनख्वा के पैसों को उनके मां-बाप या भाई बहनों को उनकी देखभाल में के लिए दे दिया जाएगा। असम कर्मचारी अभिभावक जवाबदेही और निगरानी विधेयक, 2017 के प्रवाधानों के तहत राज्य सरकार या असम में किसी अन्य संगठन के कर्मचारी अपने अभिभावकों या दिव्यांग भाई-बहनों की देखभाल करेंगे। राज्य के मंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सदन में विधेयक पेश करते हुए कहा कि ऐसे उदाहरण भी सामने हैं, जिनमें अभिभावक वृद्धाश्रमों में रहते हैं और उनके बच्चे उनकी देखभाल नहीं कर रहे।
बता दें कि उनका कहना है कि इस विधेयक का मकसद राज्य कर्मचारियों के निजी जीवन में हस्तक्षेप करने का नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि अनदेखी किए जाने की स्थिति में अभिभावक या दिव्यांग भाई बहन कर्मचारियों के विभाग में शिकायत कर सकते हैं। सदन ने चर्चा करने के बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। वही शर्मा का कहना है कि बाद में एक विधेयक सांसदों, विधायकों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और असम में संचालित निजी कंपनियों के कर्मचारियों के लिए भी एक ऐसा ही विधेयक पेश किया जाएगा।