वाशिंगटन। आतंकवादी संगठनों का पोषण करना अब पाकिस्तान के लिए आसान नहीं होगा। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने शनिवार को पाकिस्तान को रक्षा क्षेत्र में मदद की शर्तों को और सख्त बनाने के लिए 3 संशोधन विधेयकों को पारित कर दिया है। यह जानकारी रविवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली। ज्ञात हो कि इन पारित संशोधन विधेयकों में शर्त रखी गई है कि वित्तीय मदद लेने के लिए पहले पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में संतोषजनक प्रगति दिखानी होगी। अगर पाकिस्तान ने आतंकवादियों को मदद देना बंद नहीं किया, तो ना केवल उसे अमेरिका से मिलने वाली वित्तीय सहायता से हाथ धोना पड़ेगा, बल्कि उसे अमेरिका की सख्त कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।
बता दें कि अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने शुक्रवार को 651 अरब डॉलर वाले नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन ऐक्ट (एनडीएए) 2018 के इन तीनों संशोधन विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया। सदन ने 81 के मुकाबले 344 मतों से इसे पारित किया है। सदन में पारित इस विधेयक के कारण अब रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस को पाकिस्तान को फंड देने से पहले यह प्रमाणित करना होगा कि इस्लामाबाद ग्राउंड्स लाइंस ऑफ कम्यूनिकेशन पर सुरक्षा बनाए हुए है। ग्राउंड्स लाइंस ऑफ कम्यूनिकेशन सैन्य यूनिट्स को आपूर्ति मार्ग से जोड़ने वाला और सैन्य साजो-सामान को लाने-ले जाने का अहम रास्ता है।
वहीं मैटिस को यह भी प्रमाणित करना होगा कि पाकिस्तान उत्तरी वजीरिस्तान को अपनी पनाहगाह बनाने वाले हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ गंभीरता से कार्रवाई कर रहा है। साथ ही, पाकिस्तान को यह भी साबित करना होगा कि वह अफगानिस्तान से लगी अपनी सीमा पर हक्कानी नेटवर्क समेत बाकी सभी आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने में अफगानिस्तान सरकार के साथ सक्रिय सहयोग कर रहा है। इसके अलावा पारित एक संशोधन के प्रस्ताव के मुताबिक, जब तक अमेरिकी विदेश मंत्री यह पुष्टि नहीं करेंगे कि पाकिस्तान अमेरिका द्वारा घोषित किसी भी आतंकवादी को सैन्य, वित्तीय मदद या साजो-सामान उपलब्ध नहीं करा रहा, तब तक पाकिस्तान को दिए जाने वाला फंड जारी न किया जाए।
इतना ही नहीं एक संशोधन में यह भी कहा गया है कि शकील अफरीदी एक अंतरराष्ट्रीय नायक हैं और पाकिस्तान सरकार को चाहिए कि वह तुरंत उन्हें जेल से रिहा कर दे। अफरीदी ने एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन की मौजूदगी का पता लगाने में अमेरिका की मदद की थी। उल्लेखनीय है कि ट्रंप प्रशासन अपने 6 महीनों के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान को आतंकवाद पर उसकी भूमिका को लेकर कई बार चेतावनी दे चुका है।