भारत खबर विशेष

छत्तीसगढ़ में आए थे एलियन

alian छत्तीसगढ़ में आए थे एलियन

रायपुर। जिस किसी ने भी ऋतिक रोशन की ‘कोई मिल गया’ फिल्म देखी होगी, वे अवश्य ही दूसरे ग्रह के प्राणी या एलियन को लेकर काफी रोमांचित हुए होंगे। एलियन का धरती पर आना और उसका रहन-सहन हमेशा ही पृथ्वीवासियों के लिए अजूबा रहा है। क्या ये वास्तव में सच है? ये प्रश्न हमेशा से सबके दिलो-दिमाग पर कौंधता है। पर छत्तीसगढ़ के सिरपुर के पुरातात्विक खुदाई में कुछ ऐसे ही प्रमाण मिले हैं, जिनसे यह पुख्ता होता है कि यहां भी हजारों साल पहले एलियन आ चुके हैं।

alian

वहीं भारतवर्ष में भी हजारों सालों से यह मानना है कि दूसरे ग्रहों के भी प्राणी निवास करते हैं और बीच-बीच में वे पृथ्वी पर आते रहते हैं। इस बारे में विदेशों में भी लोगों द्वारा दूसरे ग्रहों से आई हुई उड़न तश्तरियां समय-समय पर देखे जाने के समाचार मिलते ही रहते हैं। उड़न तश्तरी के बारे में तो एक पाश्चात्य वैज्ञानिक ने तो पूरी की पूरी किताब ही लिख डाली है। वरिष्ठ पुरातत्वविद डॉ. अरुण शर्मा ने खास चर्चा में बताया कि इस तरह की बातों को काल्पनिक नहीं कहा जा सकता, क्योंकि समय-समय पर उनके प्रमाण मिलते गए हैं।

डॉ. शर्मा के मुताबिक, भारतवर्ष में लोगों की यह धारणा है कि दूसरे ग्रहों से खासकर, मंगल और बुध से, हमारे संबंध थे। उन्होंने बताया कि सिरपुर उत्खनन में बाजार क्षेत्र से करीब 2600 वर्ष पुरानी पकाई हुई मिट्टी के पुतले मिले हैं, जिन्हें सामान्य खिलौना नहीं कहा जा सकता। इनमें कुछ ऐसे हैं, जो पाश्चात्य देशों में मिले एलियंस के नाम से विख्यात मूर्तियों के ही समान हैं। कुछ में तो एलियंस के चेहरों और मास्क में इतनी समानता है कि इन्हें आज से 2600 वर्ष पहले सिरपुर के कलाकारों ने बनाया, जबकि उनका विदेशों से कोई संबंध ही नहीं था।

डॉ. शर्मा बताते हैं कि जब कुछ पाश्चात्य वैज्ञानिक सिरपुर आए, तब उन्हें इन मूर्तियों को दिखाया गया तो वे भी उनकी कल्पना एवं सिरपुर के कारीगर की कल्पना में समानता से आश्चर्यचकित हो गए। उनका मानना है कि जब तक बनाने वाले इन एलियन को नहीं देखा होगा, तब तक ऐसी सौ प्रतिशत समानता नहीं आ सकती। इससे साफ जाहिर है कि सिरपुर जैसे संपन्न एवं विकसित वाणिज्यिक इलाके में दूसरे ग्रहों के ये प्राणी आए होंगे।

गौरतलब है कि सिरपुर के पुरातात्विक उत्खनन का कार्य डॉ. अरुण शर्मा के नेतृत्व में ही 2008-09 के आसपास की गई थी, जिनमें प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के प्रमाण मिले हैं। सिरपुर के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के प्रयागराज राजिम के उत्खनन का जिम्मा भी डॉ. अरुण शर्मा ने संभाला था। डॉ. शर्मा ने दूसरे ग्रहों के प्राणी के संबंध में आगे बताया कि ये बड़े आश्चर्य की बात है कि राजिम के उत्खनन में भी हूबहू ऐसी मूर्तियां मिली हैं। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ में पुरा वैभव का भंडार है, आवश्यकता तो इस बात की है कि इस विषय पर और अधिक खोज की जाए और खासकर छत्तीसगढ़ के दो-तीन ऐतिहासिक पुरास्थलों में खुदाई की जाए, ताकि छत्तीसगढ़ का पुरावैभव प्रकाश में आ सके।

 

Related posts

बॉलीवुड में जब फीकीं पड़ने लगी थी विलेन की चमक तो आशुतोष ने आजमायी अपनी किस्मत, इस फिल्म से मिली पहचान

Trinath Mishra

कोरोना के बाद MSME को दोबारा कैसे उबारें, जानिए उद्यमियों से

Aditya Mishra

उत्तराखंड के त्रिवेंद्र सिंह रावत को नरेंद्र मोदी ने दिया कृषि कर्मण पुरस्कार

Trinath Mishra