लखनऊ। विधानसभा चुनाव-2017 में सूबे के मुखिया अखिलेश यादव बुंदेलखण्ड में रथ यात्रा करने की तमाम कोशिशें कर रहें हैं लेकिन उनकी यात्रा बार-बार रद्द हो रही है। बुधवार से शुरू होने वाली अखिलेश की बुंदेलखंड रथ यात्रा एक बार फिर रद्द हो गई है। उन्हें बुन्देलखण्ड के झांसी और महोबा में रथ यात्रा निकालनी थी, लेकिन अब इसे रद्द करते हुए वहां सिर्फ जनसभा का कार्यक्रम बनाया गया है। अखिलेश ने इससे पहले 03 नवम्बर को राजधानी लखनऊ से उन्नाव तक रथ यात्रा शुरू की थी, लेकिन इसके शुरू होते ही रथ खराब होने के कारण उन्हें इसे रोड शो में तब्दील करना पड़ा था। इससे पहले वह अक्टूबर में भी रथ यात्रा शुरू करना चाहते थे, लेकिन तब भी इस पर ग्रहण लग गया था।
बुंदेलखण्ड की सभा है खास
इस बार की रथ यात्रा की बात करें तो यह महोबा और झांसी के रास्ते से गुजरनी थी, लेकिन अब मुख्यमंत्री महोबा में बिजली परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे। इसके साथ ही झांसी में जनसभा को संबोधित करेंगे। सीएम अखिलेश की ये दोनों रैलियां बुधवार को होनी है, जिसके लिए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। राजनीतिक नजरिए से यह यात्रा बेहद खास इसलिए मानी जा रही है क्योंकि कयास लगाए जा रहें हैं कि अखिलेश इस बार इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं।
सूत्रों की मानें तो अखिलेश ने पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव को विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों की जो सूची सौंपी है, उसमें उन्होंने खुद का नाम झांसी की बबीना विधानसभा के लिए शामिल किया है। इसके बाद से ही बुन्देलखण्ड के पार्टी कार्यकर्ताओं में बेहद उत्साह देखने को मिल रहा है।
बबीना विधानसभा सीट का इतिहास
बबीना सीट पर वर्ष 2012 में पार्टी के बड़े क्षेत्रीय नेता चन्द्रपाल यादव चुनाव हार गए थे। उन्हें बसपा के कृष्णपाल सिंह राजपूत ने हराया था। इस सीट से फिलहाल पूर्व विधान परिषद सदस्य श्याम सुन्दर यादव पार्टी प्रत्याशी हैं। अखिलेश समर्थकों का मानना है कि अगर मुख्यमंत्री स्वयं बुन्देलखण्ड से चुनाव लड़ते हैं, तो न सिर्फ बबीना की हारी हुई सीट पर पार्टी का कब्जा होगा, बल्कि बुन्देलखण्ड में भी समाजवादी पार्टी मजबूत होगी। लोकसभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी के वाराणसी से चुनाव लड़ने पर भारतीय जनता पार्टी को पूर्वांचल में इसका बहुत फायदा मिला था। हालांकि इसी चुनाव में मुलायम ने आजमगढ़ से इलेक्शन लड़ा था, लेकिन सिर्फ वही यहां से लोकसभा पहुंच सके। ऐसे में अखिलेश अगर बुन्देलखण्ड से सियासी मैदान में होंगे, तो पार्टी इसका कितना लाभ ले पायेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।