हरदोई। कहते है कि लाल लाइट लगाने का सपना हर किसी जनप्रतिनिधि का होता है पर जब ऐसा हो कि लाल लाइट लगाने का अधिकार ही चला जाये तो निश्चित ही अफसोस कि बात तो होगी ही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाल लाइट न लगने की पहल के बाद कई राजनेताओं के रूतबे में कमी आती दिख रही है। लाल बत्ती हटने के बाद उन लोगों के अहम को ज्यादा ठेस पहुंची है जो इसे रूतबा समझते हुए धौंस जमाया करते थे।
लाल बत्ती की गाड़ी के जरिये धौंस जमाने का एक मामला हरदोई में देखने को मिला है। जहां पर भाजपा सासंद अंशुल वर्मा ने दो दिन पहले गाड़ी से लाल बत्ती हटाकर मोदी के अभियान में कदम से कदम मिलाया और इस फैसले की सराहना की।
आदर्शिता का पाठ पढ़ने वाले सांसद अपने लाव लश्कर के साथ किस तरह हूटर बजाते निकल रहे है। मामला है अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एसोसिएशन के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जाने का। सदर सांसद अपने घर से निकलते ही एक नहीं दो-दो गाड़ियों में हूटर बजाते हुए जा रहे है, मानो कहना चाह रहे हो होशियार सांसद का काफिला रस्ते से गुजर रहा है।
सांसद की गाड़ी का इस तरह हूटर बजाते हुए निकलना अपने आप में एक उदाहरण है कि हरदोई में अब भी वीआईपी कल्चर खत्म नहीं हुआ है। या फिर यूं कहें कि लोग इसे तवज्जों के साथ समझना नहीं चाहते हैं। जब संवाददाताओं ने इस मामले पर सांसद से बात करनी चाही तो उन्होंने पहले की ही तरह रटी-रटाई बात कही और रवाना हो गए।
आशीष सिंह, संवाददाता