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20 साल बाद पाकिस्तान के कटासराज मंदिर में गूंजा ‘बम भोले’ का जयकारा

shiv mandir 1 20 साल बाद पाकिस्तान के कटासराज मंदिर में गूंजा 'बम भोले' का जयकारा

ऐबटाबाद। पाकिस्तान के ऐबटाबाद का कटासराज शिव मंदिर पूरी दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यहां तक की इस मंदिर का भारत में ऐतिहासिक महत्व भी है। लेकिन इस मंदिर में पिछले 20 सालों से पूजा-अर्चना करना पूरी तरह से बैन था। वहीं मंगलवार (25-4-17) को पाकिस्तान की एक अदालत ने इस बैन को हटा दिया है और अब इसमें कोई भी पूजा अर्चना कर सकता है।

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इस प्रतिबंध को हटाने का फैसला पाकिस्तान के पेशावर में स्थित हाईकोर्ट ने किया। न्यायमूर्ति अतीक हुसैन शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंदिर के लिए हिंदू समुदाय के लोगों को संविधान की धारा 20 के तहत पूजा करने की परमीशन दे दी। बता दें कि ये बैन पुराने चल रहे संपत्ति विवाद की वजह से लगाया गया था। जिसके बाद से वहां पर किसी भी प्रकार की पूजा नहीं की जा रही थी।

हालांकि साल 2013 में एक गैर सरकारी संगठन ने पेशावर हाईकोर्ट की ऐबटाबाट पीठ के समक्ष याचिका दायर की थी। उन्होंने दायर याचिका में कहा था कि उन्होंने इस संपत्ति को कानून तौर पर मालिक से खरीदा है।

गांधी परिवार से इस मंदिर का है खास कनेक्शन:-

पाकिस्तान के इस शिव मंदिर से गांधी परिवार का खास नाता कहा जाता है और परिवार की तरफ से हर साल पूजन सामग्री भी भिजवाई जाती है। इसी सामग्री से भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है।

shiv mandir 20 साल बाद पाकिस्तान के कटासराज मंदिर में गूंजा 'बम भोले' का जयकारा

इसलिए मशहूर है पाकिस्तान का कटासराज मंदिर:-

ये मंदिर पाकिस्तानी पंजाब के उत्तरी भाग में नमक कोह पर्वत में स्थित हिंदुओं का फेमस तीर्थ स्थान है। हालांकि यहां पर शिव के प्रचीन मंदिरों के अलावा और भी मंदिर है। इतिहासकारों एवं पुरात्तव विभाग के अनुसार इस स्थान को शिव का नेत्र माना जाता है। कहा जाता है कि जब मां पार्वती सती हुईं तो भगवान शिव की आंखों से दो आंसू टपके एक आंसू कटास पर टपका जहां पर अमृत बन गया तो दूसरा आंसू अजमेर राजस्थान में टपका जहां पुष्करतीर्थ बन गया।

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अज्ञातवास में पानी की खोज में यहां आए थे पांडव:-

ऐसा कहा जाता है कि राजपाट को जुए में हराकर वन-वन भटक रहे पांडव इस कुंड पर पानी की तलाश करते हुए आए थे लेकिन इस कुंड पर यक्ष का एकाधिकार था। लिहाजा उन्होंन शर्त रखी सवालों का सही जवाब देने पर वो इस पानी का सेवन कर सकेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं और प्यास के कारण पांडव मूर्छित हो गए। आखिर में उन्हें खोजते हुए युधिष्ठिर पहुंचे और सभी सवालों का जवाब देने के बाद चारों भाइयों को पानी पिलाया।

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दो रंग का सरोवर कही गहरा तो कही गहराई बहुत कम:-

इस कुंड का रंग एक समान नहीं है लिहाजा इसकी गहराई भी समांतर नहीं है। जहां सरोवर का रंग हरा है वहां गहराई कम है और जहां पर पानी बहुत गहरा है वहां का पानी नीला है। मान्यता है कि ये सरोवर शिव के आंसुओं से बना।

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