नई दिल्ली। सावन का आखिरी सोमवार और सावन महीने का अन्तिम दिन पूर्णिमा तिथि रक्षाबंधन का त्यौहार और खंडग्रास चंद्र गहण सब कुछ एक साथ ये एक बड़ा संयोग है। वैज्ञानिक रिपोर्टों के मुताबिक इस चंद्र ग्रहण की शुरूआत अफ्रीका के मध्य भाग से 7 अगस्त को भारतीय समय के मुताबिक रात 10:53 बजे शुरू होगा। जो कि रात्रि 12 बजकर 55 मिनट पर खत्म होगा। चूंकि मान्यता है कि चंद्र ग्रहण के 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है। इस बार भी ये सूतक सावन के आखिरी सोमवार और पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन के अवसर पर लगेगा। जो कि दोपहर 1 बजकर 52 मिनट पर लगेगा।
चंद्रगहण के चलते इस दिन सूतक लगते ही देवी-देवताओं के मंदिरों के पट बंद कर दिए जायेंगे। इसके साथ ही सूतक लगते ही कोई शुभ कार्य नहीं किया जा सकेगा। इसलिए रक्षाबंधन का त्यौहार सूतक के पहले ही मनाया जा सकेगा। इसके साथ ही इस दिन रक्षाबंधन के लिए चंद्रग्रहण के साथ भद्राकाल का भी ध्यान रखना होगा। ये चंद्रगहण भारत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर, यूरोप के कुछ इलाकों के अलावा अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर और दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका में भी देखा जा सकेगा।
ग्रहण का सूतक लगने के बाद धार्मिक और वैज्ञानिक तथ्य हैं कि इसका असर जीव-जन्तु दोनों पर पड़ता है। ग्रहण को लेकर ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों का कहना है कि इस दिन परिवार में बुजुर्ग और बच्चों और बिमार सदस्यों को अलावा किसी को भोजन इत्यादि नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन गर्भवती स्त्रियों को घर के बाहर ग्रहण काल तक और सूतक में नहीं निकला चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहता है, जो कि इस धरती के हर जीव-जुन्त के लिए घातक होती है। इसलिए इस दिन लोगों को घरों में रहकर पूजा-पाठ करने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से इस दिन संचारित होने वाली नकारात्मक ऊर्जा का मुकाबला करने के लिए घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहता है।
अब इस बार ठीक रक्षाबंधन और सावन के अंतिम सोमवार के साथ अंतिम दिन पड़ने वाले चंद्रग्रहण का समय रात 10 बजकर 53 मिनट से शुरू होगा और ये ग्रहण काल रात्रि 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। इस ग्रहण का मध्यकाल रात्रि 11 बजकर 50 मिनट पर होगा। इस दिन ग्रहण का सूतक दिन में ठीक 1 बजकर 52 मिनट पर लगेगा। रक्षाबंधन के दिन पड़ने वाला ये ग्रहण 12 साल बाद लग रहा है। ऐसे में रक्षासूत्र बंध वाने वालों के लिए और रक्षा सूत्र बांधने वालों के लिए भ्रद्रा काल के बाद का समय ही बचा है। भद्राकाल सुबह 11 बजकर 7 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इसके बाद 1 बजकर 52 मिनट के पहले तक ही रक्षाबंधन का कार्य किया जा सकेगा।