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1 साल बाद बेटे ने कब्र से पिता के शव को निकालकर सैकड़ों मील दूर दफन किया

muslim 1 साल बाद बेटे ने कब्र से पिता के शव को निकालकर सैकड़ों मील दूर दफन किया

पीलीभीत। एक साल के बाद बुजुर्ग आलिम ए दीन मौलाना मशहूद अहमद रजा के जसदे खाकी (लाश) को पीलीभीत से सिद्धार्थ नगर जनपद लाए जाने की खबर से पूरा जिला हिल गया और हजारों श्रद्धालू शव यात्रा में शामिल होने उतरौला पहुँचे और वहीं से जुलूस के साथ सिद्धार्थनगर के लिए रवाना हो गए। एक वर्ष बाद कब्र से शव को निकाल कर सैकड़ों किलो मीटर दूर लाए जाने की असली वजह का खुलासा नहीं हो पा रहा है जबकि लोगों के मन में कई तरह की बातें चल रही हैं जिसकी पुष्टि फिलहाल अभी तक नहीं हो पा रही हैं।

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मिली जानकारी के अनुसार बुज़ुर्ग आलिम ए दीन मौलाना मशहूद रजा, मुशाहिदे मिल्लत के नाम से मशहूर थे। मौलाना ने 30 से 40 वर्षों तक उतरौला कस्बे में रह कर धर्म गुरु की हैसियत से इस्लामिक शिक्षा को बढ़ावा दिया तथा ताउम्र शान्ती और भाई चारे का संदेश देते रहे। इसके बाद मौलाना जिला सिद्धार्थनगर,तहसील इटावा, थाना त्रिलोकपुर के ग्राम डोकम अमियां गाँव चले गए और वहीं तबलीग ए दिन का काम करते रहे। हजरत ने अपने सौहार्द पूर्ण व्यवहार से सभी धर्मों के लोगों में एक खास जगह बना ली जिसकी वजह से हजारों की संख्या में लोगों की उनसे आस्था जुड़ गई। मरहूम ने यहां एक मजार ए अकदस का भी निर्माण कराया जहां हजारों की संख्या में लोग हाजिर होकर श्रद्धा सुमन पेश करते हैं। मौलाना ने अपनी जिन्दगी में वसीयत कर दी थी कि मेरी मौत चाहे जहां भी हो मगर मुझे इसी गाँव में दफन किया जाए। मगर मौत के बाद उनके घरवालों ने उन्हें पीलीभीत में ही दफन कर दिया।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मौलाना का 23 अगस्त को मुम्बई में देहांत हुआ और उन्हें सीधे पीलीभीत ला कर दफन कर दिया गया। यह बात मौलाना के लड़कों को काफी बुरी भी लगी मगर उस वक्त खुल कर विरोध नहीं कर सके। मगर बाद में वालिद की आखिरी वसीयत पर अम्ल करने का मन बना लिया और अदालत से आदेश लाकर 23 अगस्त की शाम को पीलीभीत पहुंच गए और पिता की कब्र खोदने लगे तभी कुछ लोगों नें विरोध किया तो हंगामा शुरू हो गया। इसी बीच स्थानीय प्रशासन भी मौके पर पहुंच गया और कुछ देर के बाद अधिकारियों नें शव को ले जाने की परमीशन दे दी।

इसके बाद मौलाना के पुत्र मोहम्मद शयान रजा हशमती, मोहम्मद हस्सान रजा हशमती नें एक लिखित पत्र उलमा को देकर कहा कि हम अपने पिता मशहूदे मिल्लत के जसदे खाकी (शव) को अपनी मर्जी से बिना किसी जोर दबाव के कब्र से निकाल कर दूसरी जगह मुन्तकिल कर रहे हैं। इसकी समस्त जिम्मेदारी हमारी है। इस तहरीर में गवाह के तौर पर मुजाहिद रजा हशमती, फकीर अता मोहम्मद मुजाहिदी, मोहम्मद आजम, मोहम्मद जुनैद,अकील रजा आदि के नाम भी लिखे हैं।

हजरत की शव यात्रा में पीलीभीत से ही हजारों की संख्या में लोग चले थे और तमाम रास्तों में शव यात्रा को रोक कर लोग शामिल हुए जिसकी वजह से देर शाम लगभग 7:30 बजे के करीब शव यात्रा डोकमपुर गाँव पहुंची जहां पहले से ही हजारों की भीड़ मौजूद थी। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि मुशाहीदे मिल्लत नें अपने लड़कों के स्वप्न में आकर उनसे कहा कि मुझे यहां से निकाल कर सिद्धार्थनगर ले चलो मुझे सुकून नहीं मिल रहा। जिसके बाद उनके बेटों ने एस डी एम से लिखित इजाजत लेकर कब्र से लाश निकाली। एक वर्ष बाद लाश निकालने के असली वजह की पुष्टि मौलाना के घरवालों से नहीं हो सकी है। देर रात शव को दफना दिया गया है जिसमे लाखों लोगों ने हिस्सा लिया जहां मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स भी तैनात थी।

लगभग 11 महीने 18 दिन पहले दफनाई गई लाश पहुंची सिद्दार्थ नगर:-

– शेर बे अहले सुंनत आला हजरत के शहजादे हुजूर मशहुदुर रजा जलाली रहमतो रिजवान का जानाजा 11 महीने 18 दिन पहले पीलीभीत मे दफनाया गया था।

– बीते दिन 24 को पीलीभीत के कब्रिस्तान से निकाल कर शव सिद्दार्थ नगर जनपद के इटवा तहसील थाना त्रलोकपुर के डोकम अम्या गाँव में लाकर पुरानी मजार के बगल में दफनाया गया।

– बताया जाता है कि जलाली भेय्या ने अपने चाहने वालों को ख्वाब में बताया कि मुझे यहां से निकाल कर डोकम गाँव में दफन करो जिसके बाद उनके चाहने वालों ने डोकम पहुंचाया।

– आश्चर्य इस बात का है कि देखने वालों ने बताया की 11 महीने 18 दिन पहले दफनाई गई लाश आज भी पहले जैसी है इसे कुदरत का करिश्मा माना जाय या आस्था।

Akeel New (अकील सिद्धीकी, संवाददाता)

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