नई दिल्ली। आज के वक्त में मोबाइल हर किसी की पसंद है या यूं कहे कि हर किसी की जरूरत बन गया है। फिर चाहे वो युवा हो या बच्चे मोबाइल को लेकर आज के समय में बच्चे ज्यादा सक्रिय होते जा रहे हैं। इंटरनेट और मोबाइल की तल बच्चों पर इतनी ज्यादा हावी होती जो रही है कि अगर उनको फोन न मिले तो वो कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। जो घटना हरियाणा में हुई है उसे जानकर आप अपने बच्चों के हाथ में मोबाइल देने की गलती तो बिल्कुल नहीं करेंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक पांचवी क्लास के बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। दरअसल बच्चे ने मोबाइल न मिलने पर किचन में रखे चाकू से अपने हाथ की नस काट ली। बच्चे को बचपन से ही मोबाइल की लत लगी हुई थी बचपन में ही मां उसके हाथ में फोन दे देती थी ताकि वो बिना नखरे किए वीडियो देखते हुए आराम से खाना खा ले।
बता दें कि जब बच्चा 4 साल का हुआ तो उसके माता पिता ने एक अच्छा खिलौना बताकर कर उसे एक मोबाइल गिफ्ट कर दिया। जब वो नौ साल का हुआ तो मोबाइल को लेकर उसकी आदत इतनी ज्यादा खराब हो गई कि वो एक मिनट भी मोबाइल के बिना नहीं रह पाता था। उसकी बिगड़ती आदतों को देखकर माता पिता ने उससे मोबाइल ले लिया तो उससे रहा नहीं गया और उसने चाकू से हाथ काट लिया। आनन-फानन में माता पिता उसे अस्पताल ले गए। डॉक्टरो ने बच्चे को गंगा राम अस्पताल ले जाने की सलाह दी।
वहीं डॉक्टर ने कहा कि माता-पिता ने अपने बच्चे को पहले समय बचाने के लिए मोबाइल फोन दे दिया। वे कहते हैं ‘दोनों माता-पिता कामकाजी है और बच्चे के लिए बहुत कम समय दे पाते हैं। यह भी पाया गया कि जब वह शिशु था तब उसे मनोरंजन के लिए मोबाइल दे दिया गया। धीरे-धीरे उसकी यह आदत हो गई। वह खाना भी तभी खाता था जब उसके पास मोबाइल होता था। वह यूट्यूब देखते या गेम खेलते हुए ही खाना खाता था। उसे लगातार सिरदर्द की शिकायत भी होती थी जो कि आंखों की रोशनी के कारण थी। उसे चश्मा लग गया। उसकी आंखों पर आगे और गलत असर न पड़े उसके लिए उसे मोबाइल और लैपटॉप, टीवी न देखने की सलाह दी गई।
हालांकि तब तक तो उसकी मोबाइल पर निर्भरता हो चुकी थी। जब भी उससे मोबाइल ले लेते तो चिड़चिड़ापन और गुस्सा आ जाता। उसकी बात नहीं मानते तो वह दीवार पर सिर पटकने लगता। आखिरकार उसने गुस्से में अपने हाथ को चाकू से काटने की कोशिश की। डॉ. मेहता ने ‘पॉजीटिव पेरेंटिंग’ की भूमिका पर जोर दिया गया है। वे कहते हैं ‘इलाज का मुख्य फोकस पॉजीटिव पेरेंटिंग है। हमने उन्हें बच्चे के साथ क्वॉलिटी टाइम बिताने को कहा है। हमने घर पर गैजेट्स फ्री टाइम निकालने को कहा है और यह 13 साल की उम्र तक जारी रखने को कहा है। हमने सलाह दी है कि दिन का एक भोजन साथ किया जाए और साथ में वॉक की जाए।