अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का मून मिशन ‘आर्टेमिस-1’ आज लॉन्च हो गया है। रॉकेट ने फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से भारतीय समय के अनुसार 12.17 बजे उड़ान भरी।
यह भी पढ़े
G20 Summit : इंडोनेशिया ने सौंपी अध्यक्षता, अगले साल भारत में होगा जी20 शिखर सम्मेलन
आपको बता दें कि लॉन्चिंग का समय सुबह 11.34 बजे था। इससे पहले 29 अगस्त और 3 सितंबर को भी लॉन्चिंग की कोशिशें हुई थीं, लेकिन तकनीकी गड़बड़ी और मौसम खराब होने के चलते इन्हें टालना पड़ा था।
नासा के मुताबिक, लॉन्च के कुछ मिनट बाद ही रॉकेट की अपर स्टेज ने ओरियन स्पेसक्राफ्ट को चांद की तरफ छोड़ दिया है। सोमवार को ओरियन चंद्रमा की सतह के 96.5 किलोमीटर पास से गुजरेगा। कुछ हफ्ते स्पेस में बिताने के बाद यह 11 दिसंबर को प्रशांत महासागर में आ गिरेगा।
अमेरिका 53 साल बाद अपने मून मिशन आर्टेमिस के जरिए इंसानों को चांद पर एक बार फिर से भेजने की तैयारी कर रहा है। आर्टेमिस-1 इसी दिशा में पहला कदम है। यह मेन मिशन के लिए एक टेस्ट फ्लाइट है, जिसमें किसी एस्ट्रोनॉट को नहीं भेजा जाएगा। इस फ्लाइट के साथ वैज्ञानिकों का लक्ष्य यह जानना है कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चांद के आसपास सही हालात हैं या नहीं। साथ ही एस्ट्रोनॉट्स चांद पर जाने के बाद पृथ्वी पर सुरक्षित लौट सकेंगे या नहीं।
नासा का ‘स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) मेगारॉकेट’ और ‘ओरियन क्रू कैप्सूल’ चंद्रमा पर पहुंचेंगे। आमतौर पर क्रू कैप्सूल में एस्ट्रोनॉट्स रहते हैं, लेकिन इस बार यह खाली रहेगा। ये मिशन 42 दिन 3 घंटे और 20 मिनट का है, जिसके बाद यह धरती पर वापस आ जाएगा। स्पेसक्राफ्ट कुल 20 लाख 92 हजार 147 किलोमीटर का सफर तय करेगा।
नासा ऑफिस ऑफ द इंस्पेक्टर जनरल के एक ऑडिट के अनुसार, 2012 से 2025 तक इस प्रोजेक्ट पर 93 बिलियन डॉलर यानी 7,434 अरब रुपए का खर्चा आएगा। वहीं, हर फ्लाइट 4.1 बिलियन डॉलर यानी 327 अरब रुपए की पड़ेगी। इस प्रोजेक्ट पर अब तक 37 बिलियन डॉलर यानी 2,949 अरब रुपए खर्च किए जा चुके हैं।