भारत तिब्बत समन्वय संघ की केंद्रीय टीम के 6 सदस्य आज नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पूर्व नियोजित कार्यक्रम के नाते मिलना हुआ। मुलाकात और वार्ता के दौरान उन्हें भारत तिब्बत समन्वय संघ के कार्यों के बारे में विस्तार से बताया गया।
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इस अवसर पर संगठन की ओर से 7 सूत्रीय ज्ञापन भी महामहिम को सौंपा । राष्ट्रीय महामंत्री विजय मान ने महामहिम को सभी प्रस्ताव पढ़ कर अपना मंतव्य भी स्पष्ट किया। इस दौरान महामहिम ने सभी प्रस्तावों को जहां गौर से सुना वही किस प्रस्ताव से संबंधित किन विभागों को संस्तुति भेजनी है, इसका भी आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि कुछ प्रस्ताव गृह मंत्रालय और कुछ प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय से संबंधित है इसलिए मैं अपनी अनुशंसा उनको भेज दूंगा। महामहिम के साथ चली 25 मिनट की इस मुलाकात में एक अच्छी बात यह रही कि भारत तिब्बत समन्वय संघ के कार्यों की पहले से ही जानकारी कर महामहिम तैयार बैठे थे और उन्होंने चर्चा करते हुए तिब्बत और कैलाश के मुद्दे पर जन आंदोलन खड़ा करने हेतु समाज में जनजागृति करने और युवा शक्ति को आगे लाने के लिए अपने सुझाव भी दिए।
महामहिम को सौंपे ज्ञापन में 7 सूत्रीय ज्ञापन में मांग की गई है कि भारत की संसद के दोनों सदनों ने 14 नवंबर 1962 को यह प्रस्ताव पारित किया था कि चीन द्वारा धोखे से कब्जाई गई भूमि का एक-एक अंश वापस ले लिया जाएगा। अब उक्त संकल्प को पूरा करने की दिशा में ठोस कदम उठाएं। महामहिम से मांग की गई है कि भारत सरकार चीन से बात करके कैलाश मानसरोवर के लिए तीर्थ यात्रियों की संख्या में वृद्धि कराने का प्रयास करे और इन यात्रियों से चीन सरकार द्वारा लिए जाने वाले शुल्क की प्रतिपूर्ति करे।
अगली मांग में कहा गया कि वर्ष 1993 तथा 1996 में तत्कालीन भारत सरकार व चीन की कम्युनिस्ट सरकार के बीच का जो करारनामा है, उसको रद्द किये जाने के संबंध में है। दोनों करारनामे में तिब्बत सीमा पर चीनी सैनिकों के सामने भारतीय सेना को बिना अस्त्र शस्त्र रहने को बाध्य किया जाना वास्तव में भारतीय सेना के साथ धोखा है इसलिए इन करारनामों को रद्द किए जाने के लिए भारत सरकार को निर्देशित करने करें। तिब्बती चिकित्सा पद्धति के बारे में कहा गया कि भारत में प्रभावी तिब्बती चिकित्सा पद्धति को भी हमें प्रश्रय देना चाहिए। इस देश में इससे लोगों को भी स्वास्थ्य लाभ होगा बल्कि सरकार को इसे आयुष में शामिल करने से आय भी होगी और देश में निर्वासित तिब्बती परिवारों का भी धनोपार्जन होगा। एक अन्य मांग में कहा है कि तिब्बती बॉर्डर की मान्यता को अक्षुण्ण रखते हुए भारत-तिब्बत सीमा ही लिखा जाय और बोला जाए, न कि भारत-चीन सीमा। क्योंकि इतिहास में चीन कभी भी हमारा पड़ोसी देश नहीं था और उसके साथ हमारी कोई भी सीमा नहीं थी। इसके अतिरिक्त तिब्बतियों को भारत की नागरिकता देने की भी मांग की गई।
महामहिम से मिलने जाने वाली टीम में केंद्रीय संयोजक हेमेंद्र तोमर राष्ट्रीय महामंत्री अरविंद केसरी व विजय मान, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजीत अग्रवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष युवा श्री नीरज सिंह, राष्ट्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह चौहान मौजूद रहे । संगठन की ओर से महामहिम को एक स्मृति चिन्ह संगठन की अपनी पत्रिका शिव मोदी पुष्पगुच्छ, रुद्राक्ष माला आदि भेंट की।