नई दिल्ली। देश में 42 से अधिक केंद्रीय सार्वजनिक इकाईयां हैं जो कि बिना किसी नेतृत्व के काम कर रही हैं, इनमें स्कोयोरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, इंडिया टूरिज्म डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन, इंडियन ड्रग एंड फार्मास्युटिकल्स और एचएमटी के पांच यूनिट शामिल हैं। लोकसभा में मंगलवार (11.04.2017) को एक लिखित प्रश्न के दिए गए उत्तर में कहा गया कि, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र में बोर्ड स्तर के पदों की नियुक्ति करना एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, नियमानुसार आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद इन 42 रिक्त पदों को भरा जाएगा।
आपको बता दें कि स्कोयोरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया देश में सुरक्षा पत्रों के निर्माण, सिक्कों की ढुलाई, बैंक नोट्स,करेंसी के प्रिंटिग, गैर न्यायिक स्टांप पेपर, डाक टिकट और यात्रा के दस्तावेजों को बनाती है। यहां पर आपको याद दिला दें कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 500 और 1000 के नोटों को बंद किए जाने के निर्णय के बाद देश में 500 और 2000 के नए नोटों की कमी का काफी वक्त तक सामना करना पड़ा था, इसके बावजूद भी जिस कंपनी के पास नोटों के छपाई की जिम्मेदारी थी, वह बिना किसी के नेतृत्व के चलती रही, जोकि चिंता का विषय है।
देश की इन 42 कंपनियों को, जो कि देश के वित्तिय सहित अन्य मामलों में अपनी भूमिका निभाती हैं उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया कैंपेन से जोड़कर एक दूसरे के पूरक के तौर पर काम में लाया जा सकता है। यहां पर यह भी सवाल खड़ा होता है कि आखिर इतनी बड़ी कंपनियां जो देश के कई बड़े मामलों से गहरा संबंध रखती हैं, उनको चलाने के लिए किसी कुशल नेतृत्व को दे पाने में इतनी लापरवाही क्यों?