नई दिल्ली। रमजान के शुरू होते ही मस्जिदों में इबादत को दौर शुरू हो गया था। जो तब से लेकर अब तक ऐसा ही चल रहा है। लोग लगातार इबादत में जुटे हुए हैं। अल्लाहुअकबर की सदा बुलन्द होते ही मस्जिदे इबादत करने वालों से भर जाती हैं। इबादतदार अपनी इबादत में कोई कमी नहीं कर रहे हैं। इबादत में लोग खुदा से अपने गुनाह माफ करने और सबको अच्छे अमल में शामिल करने की दु
इबादते नमाज को मस्जिद में पहुंच अपने रब की बन्दगी कर रब से गुनाहों की माफी और इबादत को नेक आमला में शामिल करने की दुआ की जा रही है। तीन अशरो जिसमें रहमत, मगफिरत और जहन्नम से आजादी में बटां माहे रमजान के आखिरी अशरे में मुसलमानों द्वारा सुबह सादिक से लेकर नमाजे मगरिब तक गर्मी की तपती धुप के बीच भूख की शिद्दत में रहकर खुदा के सबसे पसंदीदा आमाल रोजा का एहतराम किया जा रहा है। शाम के वक्ते मगरिब को जामा मस्जिद नागदा में रोजा इफ्तार किया जा रहा है। पांच वक्त की नमाज के साथ ही रमजान माह में अदा की जाने वाली तराबीह की खास नमाज भी अदा की जा रही है।
मौलवी बता रहे रमजान के अहकाम
बता दें कि जहां जामा मस्जिद इमाम मौलाना आरीफ रजा सा. मोमीनो को दिन की बारिकियों की सलाहत के साथ हदीसों के हवाले से प्यारे नबी की सुन्नतो का तबसील से मालुमात बता रहे हैं वहीं इबादत के साथ ही सदका, फितरा, जकात और खैरात अदा कर रोजेदार अपनी नेकियों में इजाफा कर रहे हैं। रमजान महीने की अजीमो शान रात शबेकद्र का जिक्र करते हुए मौलाना आरीफ रजा सा. ने बताया कि माह की 23वीं सब की रात में जागकर की गई इबादत को रब हजार सालों की इबादत में शुमार करता है।
आखिरी दस दिन के रोजो में इबादत करने की खास फजीलत
वहीं महीने के आखिरी दस दिनों के अशरे जहन्नम से आजादी में एतकाफ में रहकर भी बन्दगी याकूब खाँ मंसूरी द्वारा की जा रही है। एतकाफ के नेक आमाल को बताते हुए उन्होंने कहा कि एतकाफ में इबादत करने का सवाब दो हज और दो उमराह के बराबर होती है। नागदा के साथ ही कटलावदा, कराडिय़ा, पलवाड़ा, नागौरा, नौगांवा में भी अकीदत और बन्दगी के साथ इबादत का दौर चल रहा है।
रानी नक़वी