शख्सियत

‘पुष्पा आई हेट टियर्स’… काका की जिंदगी बनी एक मिसाल

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नई दिल्ली। हिन्दी सिनेमा में अपनी अलग पहचान रखने वाले राजेश खन्ना पूरे बाॅलीवुड में अपने किरदारों के लिए जाने जाते हैं। आज अगर वे जीवित होते तो ये उनका 77 बर्थडे होता। भले ही आज वो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपने निभाए गए किरदारों के द्वारा वो हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे। राजेश खन्ना हिन्दी फिल्म इंड्रस्टी का एक ऐसा नाम है जिसने अपने हर एक किरदार को ऐसे जिया कि वो आज भी वो बिल्कुल नए जैसा लगता है। राजेश खन्ना का रियल नाम जतिन खन्ना था। बाॅलीवुड में आने के बाद कई लोगों ने उन्हें अपना नाम बदल लेने का सुझाव दिया जिसके बाद वो राजेश खन्ना के नाम से पहचाने जाने लगे।

Rajesh 'पुष्पा आई हेट टियर्स'... काका की जिंदगी बनी एक मिसाल

राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसम्बर 1942 को हुआ था। राजेश को बचपन से ही एक्टिंग में रूचि थी। बड़े होने के बाद  राजेश खन्ना ने 1966 में पहली बार 23 साल की उम्र में “आखिरी खत” नामक फिल्म में काम किया। इसके बाद राज, बहारों के सपने, आखिरी खत उनकी तीनों फिल्में बड़े पर्दे पर सफल रही। धीरे-धीरे अपने अभिनय के दम पर वो इतनी चर्चा बंटोरने लगे की उस दौर में लड़कियां दीवानी होने लगी। कभी कोई उनकी एक झलक पाने को तरसने लगा तो कोई उनके लिए खून भरे लेटर लिखता। यहां तक कि लोग अपने पैदा होने वाले बच्चों के नाम भी राजेश रखने लगे। लड़कियां तो उनके लिए जान तक देने को तैयार थीं।

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प्रमुख फिल्में-

उन्होंने 1969-72 में लगातार 15 सुपरहिट फिल्में दी – आराधना, इत्त्फ़ाक़, दो रास्ते, बंधन, डोली, सफ़र, खामोशी, कटी पतंग, आन मिलो सजना, ट्रैन, आनन्द, सच्चा झूठा, दुश्मन, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी। एक से ज्यादा कलाकार वाली फिल्में 1969-72 का अंदाज़, मर्यादा सुपरहिट रहा। मालिक पूर्णतः असफल रहा। बाद के दिनों में 1972-1975 तक अमर प्रेम, दिल दौलत दुनिया, जोरू का गुलाम, शहज़ादा, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, अपना देश, अनुराग, दाग, नमक हराम, अविष्कार, अज़नबी, प्रेम नगर, रोटी, आप की कसम और प्रेम कहानी जैसी फिल्में भी कामयाब रहीं। मगर उस के लिए 1976-78 खराब काल रहा क्योँकि 7 फिल्में- महबूबा, त्याग, पलकों की छाँव में, नौकरी, जनता हवलदार, चक्रव्यूह, असफल रहा। 1976-78 में महा चोर, छलिया बाबू, अनुरोध, भोला भाला, कर्म कामयाब रहा।

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एक दौर ऐसा आ गया था जब निर्माता-निर्देशक राजेश खन्ना को फिल्म में लेने के लिए उनके घर के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते थे। निर्माता उनकी फिल्म के लिए उन्हें मनमाने पैसे तक देने के लिए तैयार थे। राजेश खन्ना रोमांस के मामले में उस समय के सभी कलाकारों को पीछे छोड़ चुके थे। उनकी आंख झपकाने और हाथों को घुमा के डाॅयलाग बोलने के सभी कायल थे। इसके अलावा राजेश खन्ना द्वारा पहने गए कुर्त्ते खूब चर्चा बंटोरने लगे और लोग खुद भी उसी तरह के स्पेशल आर्डर देकर बनवाने लगे।

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18 जुलाई साल 2012 में जैसे ही इस महान कलाकार के न रहने की खबर मीडिया में आई मुंबई में उनके घर के बाहर फैन्स जमा होने लग गए जिसे कंटोल करने के लिए पुलिस को काफी मेहनत करनी पड़ी। भारी बारिश और तूफान के बावजूद लोग पैदल चलकर शमशान घाट तक अपने प्रिय कलाकार को अंतिम विदाई देने पहुंचे। बाॅलीवुड में भी इस खबर से बिल्कुल मातम जैसा माहौल छा गया। बाॅलीवुड के काका का कहना था कि वो अपनी जिंदगी में बहुत खुश हैं अगर लाइफ में दोबारा मौका मिला तो वे फिर से राजेश खन्ना ही बनना चाहेंगे। राजेश खन्ना रो रोज पैदा नहीं होते। कहीं न कहीं राजेश खन्ना को हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार कहना गलत नहीं होगा।

 

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