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पश्चिम का चुनावी रण तय करेगा सूबे की सियासत

Up 1st 1 पश्चिम का चुनावी रण तय करेगा सूबे की सियासत

नई दिल्ली। चुनावी रण के पहले चरण के यज्ञ की आहुतियां डाले जाने में चंद घंटे बाकी है। चुनावी आचार संहिता के चलते प्रचार कार्य थम गया। प्रत्याशी और समर्थक अपनों से लगातार आने वाले पोल को लेकर चर्चाएं कर रहे हैं। चाय की दुकान से पान की दुकान तक चर्चाओं के दौर जारी है। पहले चरण के साथ उत्तर प्रदेश के रण का आगाज हो जायेगा। इसके साथ ही आने वाले कल में सूबे में क्या राजनीतिक गणित बैठेगी। इसका भी अनुमान यहां के चुनावी दंगल से बहने वाली हवा तय करेगी।

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पश्चिम के चुनावी दंगल का सूबे पर असर

किन-किन जिलों में होगा पहले चुनावी

शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, बुलन्दशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, एटा और कासगंज इन 15 जिलों में उत्तर प्रदेश का पहला दंगल होना है। पहले चरण के दंगल को साधने और सत्ता के गणित में इन 15 जिलों की 73 सीटों पर अपने दमखम को तौलने में हर पार्टी रात दिन एक किए हुए है।

कौन-कौन से विधान सभा क्षेत्र हैं

शामली में कैराना, थाना भवन और शामली, मुजफ्फरनगर में बुढ़ाना, चरथावल, पुरकाजी (सु), मुजफ्फरनगर, खतौली व मीरापुर, बागपत में छपरौली, बड़ौत व बागपत, मेरठ में शिवालखास, सरधना, हस्तिनापुर (सु), किठौर, मेरठ कैन्ट, मेरठ व मेरठ दक्षिण, गाजियाबाद में लोनी, मुरादनगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद व मोदीनगर, गौतमबुद्धनगर में नोएडा, दादरी व जेवर, हापुड़ में धौलाना, हापुड (सु) व गढ़मुक्तेश्वर, बुलन्दशहर सिकंदराबाद, बुलन्दशहर, स्याना, अनूपशहर, डिबाई, शिकारपुर व खुर्जा (सु), अलीगढ़ में खैर (सु), बरौली, अतरौली, छर्रा, कोल, अलीगढ़ व इगलास (सु), मथुरा में छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा व बलदेव (सु), हाथरस में हाथरस (सु), शादाबाद व सिकन्दरा राव, आगरा में एत्मादपुर, आगरा कैंट (सु), आगरा दक्षिणी, आगरा उत्तरी, आगरा ग्रामीण (सु), फतेहपुर सीकरी, खैरागढ़, फतेहाबाद व बाह, फिरोजाबाद में टुंडला (सु), जसराना, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद व सिरसागंज, एटा में अलीगंज, एटा, मरहरा व जलेसर (सु) तथा कांसगंज में कासगंज, अमनपुर व पटियाली विधान सभा क्षेत्र में ये समर होना है।

पश्चिम के रण के मुद्दे

पश्चिम उत्तर प्रदेश में जातिय समीकरणों के साथ धर्म का समीकरम भी ज्यादा माइने रखता है। बीते दिनों भाजपा ने कैराना और अन्य मुद्दों पर लगातार विपक्षी सत्ताधारी दल पर निशाना साधा था। वहीं कानून-व्यवस्था की बिगड़े हालत का सबसे अधिक नजारा भी पश्चिम उत्तर प्रदेश में दिखा है। जिसको विपक्षी दल सत्ताधारी दल के लिए मुद्दे के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इनके अलावा किसानों के भुगतान को लेकर भी पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसानों की नाराजगी भी एक मुद्दे के तौर पर है। ये तो बात हुई मुद्दों की लेकिन इसके अलावा यहां की गणित कुछ अलग ही है।
पिछले विधान सभा चुनावों की समीक्षा

यहां पर पहले 2007 और उसके बाद 2012 के चुनावी संग्राम पर एक नजर डालना जरूरी होगा। 2007 के विधान सभा चुनाव में बसपा ने पश्चिम उत्तर प्रदेस में अपनी खासा उपस्थिति दर्ज कराई थी। लेकिन राष्ट्रीय लोकदल की उपस्थिति और वोटों के प्रतिशत में कोई अन्तर नहीं पड़ा था। क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों के साथ एसी वोटर हैं। यहां के मुस्लिम वोटरों ने कांग्रेस के साथ सपा और बसपा की ओर रूख किया था। ये वजह थी कि एसी वोटों के साथ मुस्लिम वोटों की गणित ने बसपा का समीकरण यहां पर बना दिया था।

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