featured देश भारत खबर विशेष यूपी राज्य

पश्चिम के रण के समीकरणों पर एक नज़र

Up 1st 3 पश्चिम के रण के समीकरणों पर एक नज़र

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव का रण तैयार हो गया है। इस रण में लगातार राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने तरीके से जनता के बीच जा रही हैं। यूपी का चुनावी रण बहुत खासा है। खास इसलिए है क्योंकि इससे केन्द्र की सत्ता का रास्ता खुला है। सूबे में 4 बड़े दल हैं।

Up 1st 3 पश्चिम के रण के समीकरणों पर एक नज़र

जिनके बीच ये रण होना है। इन दलों में एक केन्द्र की सत्ता पर काबिज है तो दूसरा राज्य की सत्ता में विकास के मुद्दे पर दोनों दलों में अपने-अपने तरीके से जनता के बीच जा रहे हैं। वहीं प्रदेश में जातीय राजनीति के समीकरण के साथ एक दल अन्य समीकरणों के सहारे दम भरने की कोशिश कर रहा है। तो वहीं एक दल केन्द्र सरकार की नीतियों को जनता के बीच जनविरोधी करार दे रण में ताल ठोंक रहा है। लेकिन इन सभी के तालों और यूपी के सियासी रण को जानने के लिए हमें प्रदेश में वोटों के समीकरणों को देखना होगा।

पश्चिम उत्तर प्रदेश का समीकरण
पश्चिम उत्तर प्रदेश में जातिय समीकरणों के साथ धर्म का समीकरण भी ज्यादा माइने रखता है। बीते दिनों भाजपा ने कैराना और अन्य मुद्दों पर लगातार विपक्षी सत्ताधारी दल पर निशाना साधा था। वहीं कानून-व्यवस्था की बिगड़े हालत का सबसे अधिक नजारा भी पश्चिम उत्तर प्रदेश में दिखा है। जिसको विपक्षी दल सत्ताधारी दल के लिए मुद्दे के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इनके अलावा किसानों के भुगतान को लेकर भी पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसानों की नाराजगी भी एक मुद्दे के तौर पर है। ये तो बात हुई मुद्दों की लेकिन इसके अलावा यहां की गणित कुछ अलग ही है।

पिछले विधान सभा चुनावों की समीक्षा

यहां पर पहले 2007 और उसके बाद 2012 के चुनावी संग्राम पर एक नजर डालना जरूरी होगा। 2007 के विधान सभा चुनाव में बसपा ने पश्चिम उत्तर प्रदेस में अपनी खासा उपस्थिति दर्ज कराई थी। लेकिन राष्ट्रीय लोकदल की उपस्थिति और वोटों के प्रतिशत में कोई अन्तर नहीं पड़ा था। क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों के साथ एसी वोटर हैं। यहां के मुस्लिम वोटरों ने कांग्रेस के साथ सपा और बसपा की ओर रूख किया था। ये वजह थी कि एसी वोटों के साथ मुस्लिम वोटों की गणित ने बसपा का समीकरण यहां पर बना दिया था।

कैसा हो इस बार का समीकरण

लेकिन 2012 के चुनाव में लोकदल के साथ उनके परम्परागत वोटरों के साथ खड़ा रहा लेकिन बसपा के वोटों में सपा ने सेंध मार दी । जिसके बाद सपा की दमदार जीत का आगाज हुआ। लेकिन 2014 में लोकसभा चुनाव के पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश दंगे की आग में जला जिसका खामियाजा दोनों दलों के साथ कांग्रेस और लोकदल को उठाना पड़ा । हिन्दू वोटों के एकत्रीकरण ने भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दमदारी से खड़ा किया । अब पश्चिम में एक बार फिर संप्रदायवाद के साथ किसानों और अन्य समस्याओं को लेकर विपक्ष के निशाने पर सत्ता धारी दल हैं। विकास के मुद्दे पर पूर्ववर्ती सरकारें, वोटरों का रूख किस तरफ जायेगा लेकिन पश्चिम का रण इस बार क्या सूबे की सरकार की दिशा देगा ये तो वक्त और भविष्य के गर्भ में है।

Piyush Shukla पश्चिम के रण के समीकरणों पर एक नज़रअजस्र पीयूष

Related posts

आतंकियों ने की मोबाइल मैसेज से सबजार को बचाने की अपील

Rani Naqvi

Budget 2021: देश की बिगड़ी आर्थिक सेहत पर वैक्सीन का काम कर सकता है ये बजट

Aman Sharma

मुंबई में ‘गंतव्य उत्तराखंड-निवेशक शिखर सम्मेलन’ के तहत रोड शो का आयोजन

Rani Naqvi